हॉब्स जीवन परिस्थिति और रचनाएं

Thomas Hobbes introduction and Impact of his Thoughts

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, पश्चिमी राजनीतिक चिंतन में हॉब्स के जीवन परिचय और रचनाओं के बारे में (Thomas Hobbes introduction and his thoughts) और साथ ही साथ जानेंगे कि उनकी जीवन परिस्थितियों का उनके विचारों से क्या प्रभाव पड़ा । तो चलिए शुरू करते हैं, आसान भाषा में ।

थॉमस हॉब्स को एक समझौतावादी विचारक माना जाता है । हॉब्स ने जॉन लॉक और रुसो की तरह समझौता संबंधी अपने विचार है । प्राचीन काल से ही राज्य की उत्पत्ति के संबंध में अनुबंधवादी सिद्धांत की धारणा को मान्यता दी जाती रही है । लेकिन व्यवस्थित ढंग से इस सिद्धांत का प्रतिपादन 16 से 17वीं शताब्दी के बीच थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक तथा रूसो के द्वारा माना जाता है । इस Post में हम पढ़ेंगे Thomas Hobbes के बारे ।

हॉब्स के संप्रभुता सिद्धांत के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

जीवन परिस्थिति

आइए सबसे पहले हम थॉमस हॉब्स के जीवन परिचय के बारे में जान लेते हैं । हॉब्स का जन्म ब्रिटेन के मेलम्सबरी में 1588 को हुआ । उनके जन्म के वर्ष में आर्मेडा का युद्ध हुआ था तथा ब्रिटेन में सभी जगह अशांति और डर का माहौल बना हुआ था । हॉब्स के पिता एक पादरी थे । इसी वजह से हॉब्स को बाइबल का अच्छा ज्ञान था । लेकिन धर्म के प्रति हॉब्स का लगाव शुरू से ही बहुत कम था । हॉब्स ने अपने जीवन में अनेक रचनाएं की जिनका उनके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और इस तरह उसकी मृत्यु 1679 में 91 वर्ष की अवस्था में हो गई ।

रुसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

अपने जन्म को लेकर थॉमस हॉब्स का एक कथन बहुत ही मशहूर है, वह यह कि –

“आर्मेडा युद्ध के वर्ष में दो जुड़वाओ का जन्म हुआ, जिसमें एक भय था और दूसरा मैं ।”

हॉब्स के विचारों पर प्रभाव

आइए अब बात करते हैं, थॉमस हॉब्स के जीवन पर उनके विचारों के प्रभाव के बारे में । हॉब्स की विचारधारा पर इंग्लैंड के गृह युद्ध और उसमें घटित हुई हिंसक घटना का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा । ग्रह युद्ध के समय इंग्लैंड में अनिश्चितता, असुरक्षा और भय का वातावरण बना हुआ था । सरकार अपने लक्ष्यों में असफल हो चुकी थी और प्रभावी नहीं थी । राजा की शक्ति को सभी ओर से चेतावनी दी जा रही थी । साथ ही इंग्लैंड में चर्च की अधिमान्य स्थिति के संबंध में गहरा असंतोष था । इसी बीच रूढ़ीवादी इंग्लैंड ने सरेआम अपने राजा का वध कर दिया था ।

जॉन लॉक का सामाजिक समझौता सिद्धांत पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

क्रॉमवेल के नेतृत्व में एक बार फिर से गणतंत्र को अपनाया गया था । किंतु यह प्रयोग में पूर्णता असफल रहा । दोबारा सब ठीक होने के बाद राजतंत्र की दोबारा स्थापना हुई । इस प्रकार राजतंत्र और भी निरंकुश हो गया । इस तरह हॉब्स ने इन सभी आवेशजनक घटनाओं को अपनी आंखों से देखा था । जिसका उसके जीवन और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा था ।

इसके साथ ही हॉब्स के विचारों पर भौतिकी व यांत्रिकी का गहरा प्रभाव पड़ा था । गैलीलियो की गति का सिद्धांत इस शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी । इसी प्रभाव के कारण हॉब्स ने माना की गति ही ब्रह्मांड की अंतिम सत्य है । प्रत्येक वस्तु जो विद्यमान हैं, वह पिंड है । अर्थात कणों से मिलकर बनी है और गति में रहती है । इसके अलावा वह कैपलर तथा डीकार्ट की पद्धति से बहुत प्रभावित हुआ । इसी को वैज्ञानिक भौतिकवाद कहा जाता है । इसी के द्वारा उसने अपने दर्शन तथा विचारों को वैज्ञानिक रूप देने का प्रयास किया तथा भौतिक विज्ञान में होने वाली पद्धति को मानवीय तथा समाज विज्ञानों पर लागू करने का प्रयास किया । इसी प्रकार हॉब्स के विचारों पर गणित की शाखा ज्योमिति में और यंत्रीकी का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा ।

ऑस्टिन का संप्रभुता सिद्धांत पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

डेकार्ट जो वैज्ञानिक पद्धति का प्रेणता माना जाता है । इसी क्रमबद्धता और वैज्ञानिकता के आधार पर हॉब्स ने माना कि भौतिक विज्ञान की भांति सामाजिक विज्ञान की भी एक निश्चित पद्धति और प्रणाली होनी चाहिए । इसका मूल्य है कि तथ्यों का परीक्षण निष्पक्षता से मूल्यांकन तथा अंत में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए ।

थॉमस हॉब्स को यूरोप में अपने शिष्य विलियम कैवेंडिश के साथ शिक्षा हासिल करने के समय, यूक्लिड की ज्योमिति को पढ़ने का अवसर मिला और उसे ज्योमिति से बहुत ज़्यादा लगाव हो गया । इस गणित का आकर्षण उसके लिए उस विषय के सुदृढ़ के कारण नहीं था, बल्कि उसकी पद्धति को राजनीति और मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग करने से था ।

विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

इसके अलावा हॉब्स का मानना था कि व्यापार व आर्थिक प्रगति के लिए शांति एक आवश्यकता है । राज्य में एक निश्चित वह पूर्ण सत्ता का अभाव था । इसलिए शक्ति के अनेक दावेदार होने के कारण यहाँ अव्यवस्था, अशांति और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई थी । इसी कारण विकास, आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए एक सर्वोच्च तथा निरंकुश राज्य की स्थापना एक प्रथम शर्त बन गई थी ।

निष्कर्ष के तौर पर कहा जाए तो थॉमस हॉब्स के जीवन पर अनेक घटनाओं और कारकों का प्रभाव पड़ा । जिनके आधार पर उनकी पृष्ठभूमि तथा विचार पद्धति का निर्माण हुआ । की वैज्ञानिक खोजों गणित ज्योमिति, भौतिक, यांत्रिकी का उसके दर्शन तथा विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा था । इन्हीं आधार पर हाउस ने अपने दर्शन का निर्माण किया ।

 जे. एस. मिल (J.S. Mills) के विचारों को पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

हॉब्स की महत्वपूर्ण रचनाएं

आइये अब जानते हैं, हॉब्स की महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में । उन्होंने अपने जीवन में कौन-कौन सी कृतियों की रचना की ।

1 संप्रभुता की परिभाषा (डी सिवे)

2 प्रकृति या जनता को संप्रभु का विरोध क्यों नहीं करना चाहिए (डी कारपोरे)

3 निरंकुशतावादी राजतंत्र का समर्थन (लेवायथान)

4 विधि की व्याख्या व प्रकार (एलिमेंट्स ऑफ लॉ)

5 ब्रिटेन के गृहयुद्ध के विषय पर (अ डायलॉग ऑन सिविल वॉर)

अन्ततः हॉब्स का मानना था कि संसार में पदार्थ के अतिरिक्त कुछ भी सत्य नहीं है । आध्यात्मिक सत्ता को उसने काल्पनिक माना तथा अपने वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर उसने मनोविज्ञान तथा मानव स्वभाव का विश्लेषण किया और उसके आधार पर ही उसने अपने निष्कर्ष निकाले । जो आज भी मान्य है ।

संपत्ति के मार्क्सवादी सिद्धांत के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

तो दोस्तों यह था थॉमस हॉब्स के बारे में । उनके जीवन परिचय और रचनाओं, और उनके जीवन प्रभाव के बारे में । अगर आपको Post अच्छी लगी हो तो, अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

This Post Has One Comment

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.