समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व US Hegemony in World of Politics

समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व US Hegemony in World of Politics

दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । मैं नौशाद सर आज आपके लिए 12th Class का राजनीति विज्ञान का तीसरा Chapter लेकर आया हूं, जिसका नाम है । समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व (US Hegemony in World of Politics) Chapter को शुरू करने से पहले हम तीन लोगों की कहानियां जान लेते हैं |

1 आयेशा

2 जाबू

3 आंद्रेई

पहले बात करते हैं, आयशा की। आयशा इराकी बगदाद शहर में रहती है । पढ़ाई लिखाई में अव्वल है । उसने सोचा था कि पढ़ाई, लिखाई पूरी करके डॉक्टर बनूंगी | लेकिन अचानक एक हमले हमले में उसकी टांग चली जाती है । आयशा फिर से चलना फिरना सीख रही है । उसका सपना अभी भी डॉक्टर बनने का है, लेकिन तभी जब विदेशी सेना उसके देश को छोड़ कर चली जाए ।

इस Chapter की Video के लिए यहाँ Click करें |

दूसरी कहानी है जाबू की । जाबू दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में रहता है और प्रतिभाशाली कलाकार है । जो कि आर्ट स्कूल (Art School) में पढ़ कर अपनी लाइब्रेरी खोलना चाहता है । लेकिन जाबू के पिता चाहते हैं कि जाबू MBA की पढ़ाई करें, और परिवार के व्यवसाय को संभाले, व्यवसाय फिलहाल मंदा चल रहा है। जाबू के पिता यह सोचते थे कि जाबू परिवार के व्यवसाय को फायदेमंद बनाएगा ।

इस Chapter के hand written Notes के लिए यहाँ Click करें |

और तीसरी कहानी है आंद्रेई की । युवा आंद्रेई ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में रहता है । उसके माता-पिता अप्रवासी हैं, और रूस से आए हैं । चर्च जाते वक्त जब आंद्रेई नीली जींस पहन लेता है, तो उसकी मां आपे से बाहर हो जाती है और बहुत ज्यादा गुस्सा करने लगती है । आंध्रई अपनी मां से कहता है कि Jeans Cool है। जींस पहन कर उसे आजादी का एहसास होता है ।

तीनों कहानियों में हमने यह देखा कि आंद्रेई ने अपनी मां से बहस की, हो सकता है कि जाबू को मजबूरन ऐसा विषय पढ़ना पड़े, जिसमें उसकी बिल्कुल भी रूचि नहीं है।  जबकि आयशा की एक टांग चली जाती है ।

यह तीनों कहानियां किसी ना किसी तरीके से अमेरिका के वर्चस्व के साथ जुड़ी है ।

आयशा की कहानी से हम सैनिक वर्चस्व को समझ सकते हैं । जाबू की कहानी से हम आर्थिक वर्चस्व को समझ सकते हैं । और आंद्रेई की कहानी से हमें अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व के बारे में मालूम होता है ।

इस Chapter की Video के लिए यहाँ Click करें |

अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर वर्चस्व का मतलब क्या है ।

.

“वर्चस्व को अंग्रेजी में Hegemony कहते हैं, जिसका मतलब होता है, दूसरों के व्यवहार को प्रभावित या नियंत्रित करने की क्षमता ।”

प्राचीन काल में इस शब्द का इस्तेमाल यूनान के एथेंस राज्य की शक्ति को दिखाने के लिए किया जाता था । यूनान एक बड़ा राज्य था और उसके अंदर छोटे छोटे राज्य थे । उन्हीं छोटे राज्यों में से एक राज्य था, एथेंस और एथेंस तमाम राज्यों में शक्तिशाली था ।

इस Chapter के hand written Notes के लिए यहाँ Click करें |

आज वर्चस्व शब्द का इस्तेमाल अमेरिका की शक्ति को दिखाने के लिए किया जाता है । क्योंकि पूरी दुनिया में अमेरिका सबसे ज्यादा शक्तिशाली है । अमेरिका के वर्चस्व के तीन रूप है ।

1 आर्थिक या ढांचागत वर्चस्व

2 सैनिक वर्चस्व

3 सांस्कृतिक वर्चस्व

4 आर्थिक या ढांचागत वर्चस्व

5 आर्थिक या ढांचागत वर्चस्व

पहले हम बात करते हैं,

1 आर्थिक वर्चस्व के बारे में ।

आज दुनिया में अमेरिका का आर्थिक वर्चस्व पाया जाता है, क्योंकि अमेरिका पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को अपनी मर्जी के मुताबिक बदल सकता है । अमेरिका के अंदर दुनिया की बड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों के मुख्यालय हैं । इसीलिए अमेरिका व्यापार का केंद्र बिंदु है । अमेरिका का जीडीपी सबसे ज्यादा है, यानी अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । समुद्री यातायात के नियमों का निर्माण अमेरिका करता है, अपने फायदों को ध्यान में रखते हुए जिससे अमेरिका का आर्थिक वर्चस्व तेजी से बढ़ता है । आज इंटरनेट का इस्तेमाल व्यापार करने के लिए और संपर्क करने के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है । इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादातर लोग करने लगे हैं । और बहुत बड़े पैमाने पर इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है । इसीलिए पूरी दुनिया पर अमेरिका का नियंत्रण बना रहता है । अमेरिका के अंदर दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार है । यह दुनिया में अमेरिका का सबसे बड़ा आर्थिक वर्चस्व है ।

अगर आपको इस Chapter से Related Video देखनी है तो यहाँ Click-समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व करें |

2. सैनिक वर्चस्व

अमेरिका के वर्चस्व का जो दूसरा रूप है । वह है सैनिक वर्चस्व ।

1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ । अब अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा । इस वजह से अमेरिका का सैनिक वर्चस्व पाया जाता है । अमेरिका के सैनिक वर्चस्व को बहुत आसानी से समझा जा सकता है । जैसे कि अमेरिका का आज कुल रक्षा बजट है, वह 455.9 अरब डॉलर है । जबकि अमेरिका के बाद जो Top 12 देश हैं । उनका रक्षा बजट 449.5 अरब डॉलर है । यानी अमेरिका का वार्षिक रक्षा बजट एक तरफ और 12 देशों का रक्षा बजट दूसरी तरफ । तो 12 देश मिलकर भी अमेरिका के बराबर रक्षा पर खर्चा नहीं कर पाते । अपनी सेना पर इसलिए अमेरिका का सैनिक वर्चस्व पाया जाता है । और अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार है । परमाणु हथियार ताकत की निशानी है, जिसके पास परमाणु हथियार ज्यादा उसकी शक्ति ज्यादा । आज दुनिया के सभी समुंदरों पर अमेरिका की नौसेना तैनात है । अमेरिका कभी भी और किसी भी देश पर हमला कर सकता है ।

इस घटना से हम अमेरिका के सैनिक वर्चस्व को समझ सकते हैं, जैसे कि 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया । इस हमले के लिये यूएन (UN) की भी permission नहीं ली। यानी अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा ताक़तवर है, और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।

3. सांस्कृतिक वर्चस्व

अमेरिका के वर्चस्व का जो तीसरा रूप है, वह है सांस्कृतिक वर्चस्व ।

सांस्कृतिक वर्चस्व सबसे खतरनाक है, क्योंकि इसके जरिए अमेरिका पूरी दुनिया को अपना समर्थक बनाना चाहता है । और मानसिक रूप से अपना गुलाम बनाना चाहता है । आज अमेरिका फिल्मों के जरिए, टीवी के जरिए, संचार के साधनों के जरिए, अपनी संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है । दुनिया के अंदर लोग अब अमेरिकी खान-पान को अपनाकर उनके रहन-सहन को अपनाकर को अपने आप को आधुनिक समझते हैं । अंग्रेजी का प्रभाव बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है । और अमेरिका की संस्कृति लुभावनी है । पूरी दुनिया के देश अमेरिका के संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे हैं । और अमेरिका की बढ़ती संस्कृति की वजह से भारत जैसे तीसरी दुनिया के देशों की संस्कृति के लिए खतरा पैदा हो गया है । यानी यह जो सांस्कृतिक वर्चस्व है, यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है । और पता भी नहीं चल रहा कि है वर्चस्व किस तरीके से असर कर रहा है । जैसे कि आप जींस की पेंट पहनते हो, मैं भी जींस पहनता हूं । और हम सब इंग्लिश का इस्तेमाल ज्यादातर करते हैं, लेकिन आज तक हमें एहसास नहीं हुआ कि हम अमेरिकी वर्चस्व के शिकार हैं |

अमेरिका के वर्चस्व के लिए चुनौतियां

अब हम बात करते है, उन चुनौतियों की जो अमेरिकी वर्चस्व के लिए बाधाएँ पैदा करती हैं ।

1 अमेरिकी जनता

2 नाटो Nato

3 अमेरिकी संस्थान

4 आतंकवाद

अमेरिका के वर्चस्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी जनता है ।

1. अमेरिका के वर्चस्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी जनता है ।

अमेरिका की जनता का यह मानना है कि सरकार की आक्रमणकारी नीतियों की वजह से आतंकवादी हमले की संभावनाएं बढ़ रही है, तो आज अमेरिका की जनता खुद नीतियों में परिवर्तन का समर्थन करती है ।

1 नाटो NATO

अमेरिका की शक्ति का केंद्र बिंदु नाटो है । लेकिन भविष्य में नाटो में टूट पैदा हो सकती है, जिससे अमेरिका का वर्चस्व कमजोर हो सकता है । और

2. अमेरिका की संस्थाएं

अमेरिका के अंदर राष्ट्रपति संसद न्यायपालिका तीनों एक दूसरे को नियंत्रित करती हैं । सरकार का कोई भी अंग अनियंत्रित नहीं हो सकता । जिसके कारण भी अमेरिका के वर्चस्व के सामने बाधा पैदा होती है ।

3.आतंकवाद

अमेरिका के वर्चस्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद भी है, क्योंकि वर्तमान में इतने सारे युद्ध करने के बाद भी आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है । और जब तक आतंकवाद को खत्म नहीं किया जाता, तब तक अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती मिलती रहेगी । वर्तमान में अमेरिका के वर्चस्व का सामना कोई भी नहीं कर सकता । रूस, चीन, यूरोपीय संघ में अमेरिका को टक्कर देने की क्षमता है, लेकिन इन देशों में आपस में विवाद है । फिर भी अमेरिका के वर्चस्व से निपटने के लिए तीन रास्ते बताए जाते हैं । to be continue…….

इस Chapter के hand written Notes के लिए यहाँ Click करें |

तो दोस्तों यह था आपका 12वीं Class का 3rd Chapter समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व, अगर आपको इस Chapter के Detail में Notes चाहिए तो आप हमारे WhatsApp वाले नंबर 9999338354 पर Contact कर सकते हैं | आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ Share करें |

धन्यवाद

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.