समकालीन दक्षिण एशिया Contemporary South Asia

Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । मैं नौशाद सर आज आपके लिए पांचवा Chapter लेकर आया हूं जिसका नाम है, समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) Click here to watch video of this Chapter

पहले Chapter में हमने शीत युद्ध के बारे में पढ़ा दूसरे Chapter (End of Bipolarity) में हमने पढ़ा कि किस तरीके से शीत युद्ध खत्म हो गया और सोवियत संघ का विघटन हो गया और सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा इसलिए अमेरिका का वर्चस्व पाया जाता है । अमेरिका के वर्चस्व के बारे में हमने तीसरे चैप्टर में पढ़ा चौथे चैप्टर (Alternative Centre of Power) में हमने ऐसे देशों के बारे में जाना, जो अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं । जैसे यूरोपीय संघ आसियान चीन जापान |

पांचवे Chapter में हम शीत युद्ध से अलग हटकर भारत और उसके आसपास के देशों के बारे में बात करेंगे । इस Chapter में भारत के बारे में कम और पड़ोसी देशों के बारे में ज्यादा बात बताई गई है । क्योंकि भारत के बारे में पूरी की पूरी एक किताब मौजूद है जिसका नाम है । ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ Chapter को शुरू करने से पहले हम दक्षिण एशिया के बारे में जान लेते हैं |

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दक्षिण एशिया (South Asia)

दक्षिण एशिया में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव को शामिल किया है । दक्षिण एशिया के सातों देश भूगोल और सामाजिक और  सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे से के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन दक्षिण एशिया के 7 देशों में एक जैसी राजनीति प्रणाली नहीं पाई जाती । भारत और श्रीलंका को शुरू से ही लोकतंत्र वाले देश रहे हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश में सैनिक और लोकतंत्र दोनों तरीके का शासन पाया जाता है । नेपाल में पहले राजतंत्र था, लेकिन अब नेपाल में भी लोकतंत्र की स्थापना हो चुकी है । इसी तरीके से भूटान और मालदीप में भी लगभग लोकतंत्र आ ही चुका है ।

(SAARC) South Asian Association for Regional Co-Operation

दक्षिण एशिया के 7 देशों ने मिलकर अपना एक क्षेत्रीय संगठन बनाया है, जिसका नाम है सार्क (SAARC) तो सार्क दक्षिण एशिया के 7 देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है और सार्क की स्थापना 1985 में की गई थी जिसमें भारत पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका नेपाल भूटान और मालदीव को शामिल किया गया लेकिन अप्रैल 2007 में दिल्ली में 14 शिखर सम्मेलन हुआ सार्क का जिसमें अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बना दिया गया। इस तरीके से सार्क के अंदर आज कुल 8 देश शामिल है ।

दक्षिण एशिया में देशों की समस्या

अब हम दक्षिण एशिया की के जितने भी देश हैं, इनकी समस्याओं के बारे में बात करते हैं सबसे पहले हम बात करते हैं पाकिस्तान की भारत और पाकिस्तान दोनों में आजादी के तुरंत बाद लोकतंत्र को अपनाया गया, लेकिन भारत का लोकतंत्र तो मौजूद रहा यानी कायम रहा । पाकिस्तान लोकतंत्र के तुरंत बाद ही जनरल अयूब खान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और उसने चुनाव करवा दिए । जनता अयूब खान के खिलाफ गई इस वजह से अयूब खान को अपना पद छोड़ना पड़ा । अयूब खान के बाद जनरल याहिया खान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया । इस तरीके से पाकिस्तान से लोकतंत्र खत्म हो गया और मिट गया ।  लेकिन 1971 मैं भारत से हारने के बाद याहिया खान को भी अपना पद छोड़ना पड़ा । इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार बनी जो 1977 तक चली । 1977 में जर्नल जिया उल हक ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और 1988 तक अपना नियंत्रण बनाए रखा । 1988 में पाकिस्तान के अंदर चुनाव हुए जिसमें बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनी बेनजीर भुट्टो के बाद नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने । इसके बाद सन 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक बार फिर से सैनिक शासन की स्थापना की । 2008 में परवेज मुशर्रफ का भी तख्तापलट हो गया । फिर साल 2008 में पाकिस्तान में चुनाव हुए जिसमें आसिफ अली जरदारी को राष्ट्रपति बनाया गया था । 2013 में पाकिस्तान में फिर से चुनाव हुए जिसमें नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया । फिर 2017 में नवाज शरीफ को हटा दिया गया इस तरीके से पाकिस्तान की राजनीतिक में अस्थिरता बनी हुई है और लोकतंत्र का भविष्य सुरक्षित नहीं है ।

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पाकिस्तान में लोकतंत्र अच्छी तरीके से कायम नहीं हो पाया कभी लोकतंत्र आता था तो कभी सैनिक शासन आ जाता है ।

पाकिस्तान में लोकतंत्र के मार्ग में बाधा

1. सैनिक हस्तक्षेप

2. भारत से भय

3. आपसी गुटबाजी

इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान के लोकतंत्र में बहुत सारी बाधाएं हैं यानी पाकिस्तान के लोकतंत्र में यह तीन बहुत बड़ी रुकावट है ।

1. सैनिक हस्तक्षेप

पाकिस्तान में जो सेना है वह जनता के द्वारा चुनी गई सरकार का सम्मान नहीं करती और राजनीति के अंदर सैनिक अधिकार बार-बार दखल देते हैं । जिससे लोकतंत्र की स्थापना में रुकावट पैदा होती है ।

2. भारत से डर

पाकिस्तान में ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि लोकतंत्र में भ्रष्टाचार होता है जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है । भारत और पाकिस्तान के संबंध शुरू से ही खराब रहे हैं तो पाकिस्तान में ज्यादातर लोग भारत से सुरक्षा के लिए सैनिक शासन को बेहतर मानते हैं । इससे सैनिक शासन को बढ़ावा मिलता है और लोकतंत्र के रास्ते में रुकावट पैदा हो जाती है ।

3. आपसी गुटबाजी

पाकिस्तान में आपसी गुटबाजी बहुत ज्यादा है । धर्म के नाम पर जाति के नाम पर जैसे कि शिया और सुन्नी लोगों के बीच आपसी विवाद है । उदारवादी और कट्टरपंथी लोगों के बीच विवाद है । शिया कहते हैं कि हम अपने हिसाब से पाकिस्तान का शासन चलाएंगे । सुन्नी कहते हैं कि हम अपने हिसाब से पाकिस्तान का शासन चलाएंगे । उधर उदारवादी अपने हिसाब से पाकिस्तान का शासन चलाना चाहते हैं । इधर कट्टरवादी अपने हिसाब से शासन चलाना चाहते हैं । तो यह चारों गुट आपस में लड़ते रहते हैं । इसीलिए सेना बीच में आ जाती है और सब को हटा देती है कि कोई शासन नहीं चलाएगा । सेना शासन चलाएगी । इससे भी सैनिक शासन को बढ़ावा मिलता है और लोकतंत्र के रास्ते में रुकावट आती है ।

पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना में सहायक कारक

हालांकि पाकिस्तान में लोकतंत्र पूरी तरह से सफल नहीं हो सका लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के अंदर लोकतंत्र का जज्बा मजबूती के साथ कायम है । जैसे कि पाकिस्तान में एक स्वतंत्र और साहसी मीडिया मौजूद है और मानव अधिकार आंदोलन भी काफी मजबूत है । जिससे लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है ।

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पाकिस्तान में ज्यादातर लोग शिक्षित हैं, जागरूक हैं, जो लोकतंत्र का समर्थन करते हैं । इससे भी लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है । इसके अलावा पाकिस्तान के काफी सारे लोग भारत के लोकतंत्र से प्रभावित हैं । जिससे कि लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है । बहुत सारे लोग भारत जैसी अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं । जिससे लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है । पाकिस्तान में आए दिन आतंकवाद होते रहते हैं और सैनिक शासन से शांति भंग होती रहती है । पाकिस्तान में ज्यादातर लोग शांति चाहते हैं । इसलिए अब सभी लोग लोकतंत्र का समर्थन करने लगे हैं जिससे पाकिस्तान में लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है ।

अब हम बात करते हैं बांग्लादेश के बारे में

बांग्लादेश 1971 से पहले पाकिस्तान का हिस्सा था । इसे पूर्वी पाकिस्तान कहते थे, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान ( यानी पाकिस्तान) की सरकार इसकी भाषा और संस्कृति को समाप्त करना चाहती थी । जिसका पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने विरोध किया और शेख मुजीबुर रहमान के साथ पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ आंदोलन चला दिया । इसके अलावा पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार ने जबरदस्ती सैनिक शक्ति के जरिए दबाने की कोशिश की । अगर हम बांग्लादेश के नक्शे को ध्यान से देखें तो बांग्लादेश की सीमाएं तीनो तरफ से भारत से मिलती है । बाकी बची हुई सीमाएं समुंद्र से मिलती हैं । जब पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की सरकार को पर अत्याचार किया तो पूर्वी पाकिस्तान के सामने दो रास्ते थे, या तो वह अपनी जान दे दें, या भाग कर भारत में आ जाएं । सेना के अत्याचारों को सहन करके मर जाएं या समुंद्र में कूदकर अपनी जान दे दें। इसीलिए 1971 में बहुत सारे लोग भागकर भारत के अंदर आए । भारत ने भी पूर्वी पाकिस्तान( बांग्लादेश) की बहुत मदद की और इसी वजह से 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध हुआ । जिसमें पाकिस्तान हार गया और भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से चंगुल से छुड़ा दिया । इस तरीके से पूर्वी पाकिस्तान एक नया देश बन गया बांग्लादेश ।

बांग्लादेश और उसकी राजनीति में परिवर्तन

बांग्लादेश बनने के बाद बांग्लादेश में संविधान बनाया गया । संविधान के मुताबिक बांग्लादेश में लोकतंत्र को अपनाया गया । समाजवाद को अपनाया गया और शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाया गया । लेकिन शेख मुजीबुर रहमान के दिल में लालच पैदा हो गया । उसने आगे चलकर यह सोचा कि मेरी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है इसलिए 1975 में शेख मुजीबुर रहमान ने संविधान में संशोधन करके बाकी सभी दलों पर पाबंदी लगा दी यानी उसकी अपनी पार्टी आवामी लीग को को छोड़कर बाकी सभी दलों को संशोधन करके पाबंदी लगा दी गई  । जिससे सेना भड़क गई और सेना ने 1975 में शेख मुजीबुर रहमान के परिवार की हत्या कर दी । अब जनरल जिया उल रहमान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया लेकिन 1981 में जियाउर रहमान की भी हत्या कर दी गई । इसके बाद जनरल इरशाद ने सत्ता पर कब्जा कर लिया, लेकिन जनता जनरल इरशाद के खिलाफ भड़क गई । बड़ी मुश्किल में दो लोगों को निपटाया था, अब यह तीसरा इंसान भी कुर्सी पर आकर बैठ गया । लेकिन इरशाद ने जनता के आंदोलन के दबाव में आकर 1990 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया । 1991 में बांग्लादेश में चुनाव करवाए गए । इस तरीके से बांग्लादेश में लोकतंत्र आ गया । बांग्लादेश में लोकतंत्र की स्थापना के पीछे कई कारण थे । जैसे कि बांग्लादेश के लोगों ने आंदोलन चलाया । बांग्लादेश के अंदर जो आंदोलन चलाया गया, उस आंदोलन की भारत ने भी मदद की । बांग्लादेश के लोग शिक्षित थे, जागरूक थे, और बांग्लादेश के लोग भारत के लोकतंत्र से प्रभावित थे, जिससे बांग्लादेश में लोकतंत्र को तेजी से बढ़ावा मिला ।

नेपाल के बारे में

अब हम जानते हैं नेपाल के बारे में । नेपाल एक ऐसा देश है जो कभी किसी का गुलाम नहीं बना । नेपाल में प्राचीन काल से ही राजतंत्र था । तमाम शक्तियों पर राजाओं का नियंत्रण था लेकिन जनता लंबे समय से लोकतंत्र के लिए आंदोलन कर रही थी । तो जनता के दबाव में आकर राजा ने 1990 में संसद के लिए चुनाव करवा दिए । जिसके बाद नेपाल में लोकतंत्र आ गया । लेकिन ज्यादातर शक्तियां राजा ने अपने पास रखी । 1990 के दशक में माओवादी आंदोलन शुरू हुआ । माओवादी चाहते थे कि राजतंत्र को पूरी तरीके से समाप्त कर दिया जाए । और लोकतंत्र को मजबूती के साथ कायम किया जाए और माओवादी हिंसक क्रांति का समर्थन करते थे । इस तरीके से नेपाल के अंदर एक हिंसक आंदोलन शुरू हो गया । अब नेपाल के राजा माओवादी से तंग आ गए थे । लोकतंत्र के आंदोलन से तंग आकर राजा ने बचे कुचे लोकतंत्र को भी खत्म कर दिया । उसमें भी आग लगा दी इससे हालात काबू से बाहर हो गए क्योंकि लोग तो लोकतंत्र को और मजबूत बनाना चाहते थे । लेकिन राजा ने तो बचे कुचे लोकतंत्र को भी समाप्त कर दिया इस तरीके से हालात काबू से बाहर हो गए । जगह जगह धरने प्रदर्शन और आंदोलन तेजी से बढ़ने लगे । ये सब देखते हुए, राजा ने 2006 में दोबारा से लोकतंत्र को बाहाल कर दिया । अब नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद सबसे पहले संविधान बनाया गया । संविधान के मुताबिक, नेपाल के संविधान में यह लिख दिया गया की नेपाल से राजतंत्र को हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा और लोकतंत्र की स्थापना की जाती है । संविधान बनने के बाद नेपाल में चुनाव हुए । जिसमें गिरिजा प्रसाद कोइराला को नेपाल का प्रधानमंत्री बनाया गया । नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में बहुत सारे कारको ने मदद की जैसे कि नेपाल के अंदर लोगों ने आंदोलन चलाया, माओवादियों ने आंदोलन चलाया, नेपाल के लोग शिक्षित हैं, जागरूक हैं, लोकतंत्र का समर्थन करते हैं और नेपाल मैं बहुत सारे लोग भारत के लोकतंत्र से प्रभावित हैं । जिससे नेपाल में लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है ।

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श्रीलंका और उसका आर्थिक विकास

अब जरा हम श्रीलंका के बारे में जान लेते हैं । श्रीलंका में आजादी से लेकर अब तक लोकतंत्र कायम है लेकिन फिर भी श्रीलंका को एक बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है । यह चुनौती ना तो सेना की है ना राजतंत्र की फिर चुनौती थी क्या ? चुनौती थी, जातीय समस्या की । श्रीलंका में दो तरह की जाति के लोग रहते हैं, सिंगली और तमिल । सिंधियों की तादाद बहुत ज्यादा है, सिंगली बहुसंख्यक हैं । तमिलों की तादाद बहुत कम है तो वह अल्पसंख्यक है । सिंघी लोग तमिल लोगों के साथ भेदभाव करते हैं और उनके साथ बुरा बर्ताव करते हैं । श्रीलंका की सरकार भी तमिलों की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देती । तमिल लोगों ने भेदभाव और बुरे बर्ताव से तंग आकर अपना एक आतंकवादी संगठन बना लिया जिसका नाम है । लिट्टे (LTTE) लिटरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम, LTTE अब श्रीलंका के बंटवारे की मांग करने लगे अब श्रीलंका एक बहुत छोटा सा देश है । अब इसका भी बंटवारा कर दिया जाएगा तो क्या बचेगा । श्रीलंका की सरकार ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन तमिल लोग नहीं माने इसीलिए सिंगली और तमिलों के बीच लंबे समय तक संघर्ष चलता रहा । श्रीलंका की सेना के बीच और लिट्टे के बीच गृह युद्ध छिड़ गया । लगभग 20 सालों तक यह गृह युद्ध चलता रहा और इस ग्रह युद्ध के बीच सेना के लोगों को सफलता मिली और अब वर्तमान में यह जो जातिवादी की समस्या है, श्रीलंका से लगभग खत्म हो चुकी है । श्रीलंका ने संघर्षों की चपेट के बावजूद भी बहुत तेजी से विकास किया है । ऊंची आर्थिक वृद्धि दर को हासिल किया है । श्रीलंका ने दक्षिण एशिया में सबसे अच्छी तरह सफलतापूर्वक अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण पाया । इसके अलावा श्रीलंका दक्षिण एशिया का एक इकलौता देश है, जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया । और ग्रह युद्ध के बावजूद भी श्रीलंका के अंदर मानव विकास बहुत अच्छा रहा है । यानी श्रीलंका ने बड़ी तेजी से तरक्की की ।

अब हम भारत और आस-पास के देशों के संबंधों के बारे में जानते हैं ।

भारत और पाकिस्तान के संबंध

सबसे पहले हम जानते हैं- भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बारे में । भारत और पाकिस्तान के बीच जो संबंध हैं वह हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं । किसी ना किसी बात पर संघर्ष होता रहता है । भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के 3 बड़े कारण माने जा सकते हैं ।

1. कश्मीर

 भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण है,  वह कश्मीर मुद्दा क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा पेश करता है । इसीलिए भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती है ।

2. आतंकवाद

दूसरा जो बड़ा मुद्दा है । वह है, आतंकवाद पाकिस्तान के अंदर बहुत सारे आतंकवादी छुपे हुए हैं जिन्होंने भारत में आतंकवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया और पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है इसलिए भारत और पाकिस्तान के संबंध आतंकवाद को लेकर भी खराब हैं ।

3. नकली करंसी

भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्ष का सबसे बड़ा कारण है । वह है, नकली करंसी क्योंकि बड़े पैमाने पर भारतीय करंसी पाकिस्तान से आने लगी है । हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत सारे समझौते भी हुए । जैसे कि भारत और पाकिस्तान दोनों बस यात्रा शुरू करने पर सहमत हो गए । व्यापार को बहाल करने पर भी सहमत हो गए और भारत और पाकिस्तान में इस बात पर भी सहमति है कि विश्वास बहाली के जरिए एक दूसरे के विरुद्ध जो खतरे हैं उनकी पहचान करेंगे और उन खतरों को बहुत आराम से बातचीत के जरिए निपटें आएंगे ।

तो भारत और पाकिस्तान के संबंध कुछ मामलों को लेकर तो बहुत खराब हैं और उसके बावजूद भी कुछ ना कुछ समझौते हुए हैं ।

भारत और बांग्लादेश के संबंध

इसी तरीके की कहानी बांग्लादेश के साथ भी है यानी भारत के बांग्लादेश के साथ कुछ मामले ऐसे हैं जिन पर सहमति है और कुछ मामले ऐसे हैं जिन पर सहमति नहीं है । अब सहमति वाले क्षेत्रों के बारे में जान लेते हैं । बांग्लादेश भारत के पूरब की ओर चलो की नीति का हिस्सा है इसके जरिए भारत म्यांमार और दक्षिण एशिया के देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा देता है । भारत और बांग्लादेश दोनों पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के मसले पर सहमत हैं और एक दूसरे का सहयोग करते हैं और दोनों इस बात पर भी सहमत हैं कि खतरों की पहचान करके संवेदनशील नीति को अपनाएंगे और दोनों देशों के बीच कुछ मामलों पर असहमति भी है यानी कुछ मामलों पर भारत और बांग्लादेश के संबंध ठीक नहीं है जैसे भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर पानी के बंटवारे को लेकर विवाद है दूसरा भारत में अवैध रूप से भारत में बांग्लादेशी आते हैं और बांग्लादेश भारत विरोधी कट्टरपंथी और उग्रवादियों को अपने यहां पर पनाह देता है इसलिए भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद है ।

भारत और नेपाल के संबंध

अब जरा हम भारत और नेपाल के संबंधों के बारे में भी जान लेते हैं । भारत और नेपाल के संबंध अच्छे हैं । भारत और नेपाल के बीच एक संधि भी हुई है जिसके मुताबिक दोनों देशों के नागरिक बिना वीजा और बिना पासपोर्ट के आ जा सकते हैं और काम कर सकते हैं । लेकिन नेपाल के चीन से भी संबंध हैं और नेपाल में भारत विरोधी तत्वों के लिए कोई कदम भी नहीं उठाया और नेपाल के जो माओवादी हैं उन्होंने भारत में नक्सलवाद को भी बढ़ावा दिया है इसलिए भारत सरकार नेपाल से नाखुश है ।

भारत और श्रीलंका के बीच संबंध

इसी तरीके से भारत और श्रीलंका के बीच कुछ मसलों पर सहमति है और कुछ मामलों में नहीं । भारत और श्रीलंका के बीच जो सबसे बड़ा तनाव का कारण है । वह है, श्रीलंका की जातीय समस्या हालांकि भारत सरकार ने श्रीलंका की जातीय समस्या का समाधान करने की अपनी शांति सेना भेजी लेकिन भारत पर उल्टा आरोप लगा कि भारत श्रीलंका के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा है । इसीलिए भारत ने फैसला लिया कि श्रीलंका के अंदरूनी मामलों में दखल देने की नीति से अलग रहे भारत में श्रीलंका के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है जिससे भारत और श्रीलंका के संबंध मजबूत बने हैं । श्रीलंका में बहुत खतरनाक सुनामी आई थी और सुनामी से बहुत ज्यादा तबाही हुई और उस तबाही में भारत ने बहुत ज्यादा श्रीलंका की मदद की तबाही को खत्म करने में भारत में आर्थिक सहायता की और इस मदद के कारण भारत और श्रीलंका के संबंध मजबूत हुए ।

इस तरीके से भारत के पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध भी हैं और कुछ बातों को लेकर के विवाद भी हैं ।

द्विपक्षीय संबंधों पर बाहरी शक्तियों का प्रभाव

दक्षिण एशिया के जो देश हैं इनको बाहरी शक्तियां भी प्रभावित करती हैं । जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका लंबे समय से मध्यस्थता की भूमिका निभा रहा है । चीन पाकिस्तान की मदद करता है । भारत के खिलाफ इस वजह से भारत और चीन के संबंध प्रभावित हुए हैं । भारत और नेपाल के संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन नेपाल में माओवादियों का प्रभाव बढ़ने से भारत और नेपाल के संबंध भी प्रभावित हुए हैं ।

सार्क की भूमिका आलोचना और सुधार

दक्षिण एशिया के देशों ने सार्क नाम का अपना एक संगठन बनाया है ताकि विकास किया जा सके तरक्की की जा सके । आपसी बातचीत को और आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई है । क्योंकि सार्क के देश एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते एक दूसरे से बातचीत नहीं करते और सार्क के देश भारत को बाहुबली मानते हैं जो उनके मामलों में दखल देना चाहता है और सार्क के जरिए दक्षिण एशिया के देशों में कोई बड़ा समझौता नहीं हो पाया है । इसीलिए सार्क के अंदर सुधार करना चाहिए जैसे आपसी बातचीत को बढ़ावा देना चाहिए आपसी विश्वास को बढ़ावा देना चाहिए दक्षिण एशिया में आतंकवाद की समाप्ति के लिए समझौता होना चाहिए और भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीमा विवाद हैं उस विवाद को हल करने की भी कोशिश की जानी चाहिए दक्षिण एशिया के देशों में एकता नहीं है यानी कि सार्क के जितने भी देश हैं उनमें एकता नहीं पाई जाती । इसीलिए दक्षिण एशिया के देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात को सही तरीके से एकजुट होकर नहीं रख पाते जैसे भारत यूएन की सुरक्षा परिषद के अंदर स्थाई सदस्यता पाना चाहता है । लेकिन पाकिस्तान इसका विरोध करता है जिससे भारत का पक्ष कमजोर पड़ जाता है और भारत को यूएन परिषद में स्थाई सदस्यता नहीं मिल पाती दक्षिण एशिया के सारे देश अलग-अलग समस्याओं के लिए एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं ना तो वह खुद आगे बढ़ते और नहीं किसी और को आगे बढ़ने देते जैसे भारत पाकिस्तान पर आतंकवाद के लिए इल्जाम लगाता है इसी तरीके से पाकिस्तान भारत पर कश्मीरी लोगों के शोषण का आरोप लगाता है तो दक्षिण एशिया के अंदर सुधार करके ही दक्षिण एशिया के देशों को आगे बढ़ाया जा सकता है आपसी बातचीत को बढ़ावा देकर आपसी व्यापार को बढ़ावा देकर आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर और इसके अलावा दक्षिण एशिया के देश भारत को शक की निगाह से देखते हैं और यह मानते हैं कि भारत एक शक्तिशाली देश है बाहुबली देश है जो उनके अंदर इन्हीं मामलों के अंदर दखल देना चाहता है और अपने दबदबे को बढ़ाना चाहता है ऐसा सोचने की पीछे इन देशों के कई कारण हैं जैसे कि दक्षिण एशिया में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है और भारत के साथ यह देश समझौता करने से डरते हैं कि हम छोटे देश हैं कि भारत उनकी ऐसी व्यवस्था पर नियंत्रण कर लेगा दक्षिण एशिया में भारत की अर्थव्यवस्था और भारत की सेना सबसे बड़ी है और भारत में सबसे पहले सन् 1974 में परमाणु परीक्षण किया दक्षिण एशिया में इसीलिए यह छोटे देश भारत से समझौता करने से डरते हैं और दक्षिण एशिया में भारत ने श्रीलंका की मदद करने के लिए शांति सेना भेजी इसके बावजूद भारत के ऊपर श्रीलंका के अंदरूनी मामलों में दखल देने का आरोप लगा इस वजह से भी दक्षिण एशिया के देश यह मानने लगे हैं कि भारत उनके अंदरूनी मामलों में दखल देना चाहता है सन 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसकी वजह से बांग्लादेश नाम का देश बना इस वजह से दक्षिण एशिया के देश यह सोचते हैं कि भारत उनकी अंदरूनी मामलों में दखल देगा उन्हें तोड़ना चाहता है और उन्हें कमजोर करना चाहता है जैसे भारत ने पाकिस्तान पर हमला करके पाकिस्तान से अलग करके बांग्लादेश बनाया उसी तरीके से श्रीलंका के लोगों की भी सोच होगी कि कि यह भी हमें तोड़ कर अलग न कर दें तो इस तरीके से दक्षिण एशिया के तमाम देश भारत पर शक करते हैं ।

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