संविधान की अनुसूचियाँ

संविधान की अनुसूचियाँ (Schedule of Constitution)

दोस्तो ज्ञान उदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, भारतीय संविधान की अनुसूचियों के बारे में । भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया । उस समय संविधान में 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं । संवैधानिक संशोधनों के बाद वर्तमान में अनुसूचियों की संख्या 12 हो गई है ।

अनुसूची का अर्थ (Meaning of Schedule)

जो संविधान में निहित अनुच्छेद की व्याख्या बताती है, वर्तमान में 395 अनुच्छेद है । संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के अंतर्गत 73वें और 74वें संशोधन द्वारा 11वीं और 12वीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया है ।

भारत के संविधान की अनुसूचियाँ निम्न प्रकार हैं ।

1) पहली अनुसूची :  इस सूची के अंतर्गत भारत के 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशो का उल्लेख किया गया है ।

2) दूसरी अनुसूची : इस अनुसूची के अंतर्गत सरकार के उच्च पदों पर मिलने वाले वेतन, भत्ते एवं पेंशन का उल्लेख बकिया है । भारतीय संघ के उच्च पदाधिकारियों में (राष्ट्रपति ,राज्यपाल ,लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , राजसभा के सभापति एवं उपसभापति ,विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष,विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियत्रंक महालेखा परीक्षक आदि ।) को शामिल किया जाता है ।

पढ़े :: भारतीय संविधान के भाग Parts of Indian Constitution

3) तीसरी अनुसूची : इस सूची के अंतर्गत भारत के उच्च पदाधिकारियों (राष्ट्रपति , उप राष्ट्रपति , उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों) के द्वारा ली जाने वाली शपथ का उल्लेख किया गया है ।

4) चौथी अनुसूची :  इस सूची में राज्यों तथा संघीय के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रो की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है ।

5) पाँचवी अनुसूची : इस सूची के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में बताया गया है ।

पढ़े :: भारतीय संविधान की प्रस्तावना Preamble of Indian Constitution

6) छठी अनुसूची : इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उल्लेख है ।

7) सातवी अनुसूची : इस सूची के अंतर्गत केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बटवारे के बारे में उल्लेख किया गया है । इस सूची के अंतर्गत तीन उपसूचियां आती हैं, जो निम्न प्रकार हैं ।

i) संघ सूची : इस उपसूची के अंतर्गत 100 विषय आते हैं । इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है । संविधान के लागू होने के समय इसमे 97 विषय थे |

ii) राज्य सूची : इस उपसूची के अंतर्गत कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकार को है । इस सूची में 61 विषय है | परन्तु राष्ट्रहित से सम्बन्धित मामलो में केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 66 विषय थे |

iii) समवर्ती सूची : इस उपसूची के अंतर्गत 52 विषय आते हैं | इसके अनुसार केंद्र व राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकते हैं | राज्य द्वारा बनाया गया कानून उस समय समाप्त माना जाता है जब विषय समान हो । संविधान के लागू होने के समय इसमे 47 विषय थे ।

पढ़े :: संविधान का पुनर्गठन  Reorganization of Constitution

8) आठवी अनुसूची :  इस अनुसूची के अनुसार भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है । शुरू में संविधान में 14 मान्यता प्राप्त भाषाए थी । सन 2004 में संशोधन करके चार नई भाषाए मैथली, संथाली, डोगरी और बोडो को इसमें शामिल किया गया |

9) नौंवी अनुसूची : इस अनुसूची के अनुसार सूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नही दी । परंतु यदि कोई विषय मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है तो उच्चतम न्यायालय कानून की समीक्षा कर सकता है । इस अनुसूची को प्रथम संविधान संसोधन अधिनियम 1951 द्वारा जोड़ा गया था । इस अनुसूची में 283 अधिनियम है, जिनमे राज्य सरकार द्वारा सम्पति अधिकरण का उल्लेख प्रमुख है ।

10) दसवी अनुसूची :  इस अनुसूची के अंतर्गत दल-बदल सम्बन्धित कानूनों का उल्लेख किया गया है । इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया था ।

पढ़े :: भारतीय संविधान का विकास Development of Constitution

11) ग्यारहवी अनुसूची : यह अनुसूची हमे पंचायती राज के बारे में बताती है, जिसके अंतर्गत पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है । इस अनुसूची को 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा जोड़ा गया ।

12) बारहवी अनुसूची : इस अनुसूची के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन, संस्थानों के बारे में बताया गया है । इस अनुसूची को 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़ा गया था । इस अनुसूची में इससे सम्बन्धित 18 विषय है ।

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