वीटो पावर क्या होती है

What is VETO Power

Hello दोस्तों ज्ञानउदाय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, वीटो शक्ति की यानी VETO Power के बारे में । वीटो पावर संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को मिला एक ऐसा विशेषाधिकार है, जिसके इस्तेमाल करने पर किसी अंतराष्ट्रीय प्रस्ताव को पारित होने से रोका जा सकता है ।

वीटो (VETO) एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब होता है, ‘में आज्ञा नहीं देता हूँ’ – निषेधाधिकार यानी किसी काम को मना करने की ताकत, ये कोई प्रस्ताव हो सकता है । वीटो को सही तरीके से समझने के लिए इसको Detail में जानना पड़ेगा ।

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जैसा कि आप जानते है संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 मुख्य अंग होते हैं ।

1 सचिवालय

2 महासभा

3 सुरक्षा परिषद

4 प्रन्यास परिषद

5 आर्थिक एवं सामाजिक परिषद

6 अंतरराष्ट्रीय न्यायालय

वीटो का अर्थ

वीटो का मतलब है । निषेधाज्ञा यानी निषेध अधिकार अर्थात मना करने की शक्ति । अर्थात किसी प्रस्ताव को पारित होने से रोकना । संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग है, सुरक्षा परिषद जहाँ पर ये प्रस्ताव पेश किए जाते हैं । तो यहाँ पर सुरक्षा परिषद बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

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सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य देश जिनको ये शक्ति हासिल है । वीटो पावर वर्तमान में 5 देशों के पास है । पांच देश कौन कौन से हैं ?

१ संयुक्त राज्य अमेरिका,

२ रूस,

३ ब्रिटेन,

४ चीन तथा

५ फ्रांस हैं ।

वीटो का आरंभ

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन 24 अक्टूबर 1945 को किया गया था । 1944 में संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सम्मेलन में स्थाई सदस्य का निर्धारण हो गया था । इन स्थाई सदस्यों को कभी बदला नही जाता । इस तरह 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस और इस दिन पोलियो दिवस भी मनाया जाता है । सुरक्षा परिषद (Security Council) को दुनिया का सिपाही कहते हैं, क्योंकि पूरे विश्व मे शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी अंग के पास है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है । परंतु अंतराष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग में है जो कि नीदरलैंड में स्थित है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश होते हैं । जिनमें से पांच स्थाई और 10 अस्थाई देश है ।

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स्थाई सदस्यों देशो  में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन तथा फ्रांस है ।

और इन्हीं पांच स्थाई सदस्यों देशो को वीटो की सदस्यता प्राप्त है । यानी इन पांच सदस्यों के पास ही वीटो की पावर है ।

जो अस्थाई सदस्य हैं, उनका चुनाव महासभा द्वारा 2 वर्ष के लिए किया जाता है । इसके लिए महासभा के दो तिहाई देशों का बहुमत होना आवश्यक है ।

और महासभा की जो सालाना बैठक है वह सितंबर में होता है । प्रत्येक सदस्य देश का एक वोट होता है ।

किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए 15 सदस्यों देशों में से कम से कम 9 सदस्य देशों का सकारात्मक मत आवश्यक है । मतलब प्रस्ताव के Favour में वोट जरूरी है । जिसमें कम से कम 9 देश आवश्यक हैं ।

इसमें सभी स्थाई सदस्य देशों का सहमति मत आवश्यक है । मतलब इन 9 सदस्यों में कोई भी स्थाई सदस्य (5 में से कोई भी एक) राज़ी ना हो तो और उस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट डाला हो तो उस स्थायी सदस्य ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया है ।

इस स्थिति में 15 में से 14 देशों के समर्थन के बावजूद वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाएगा ।

यदि कोई स्थाई सदस्य नकारात्मक वोट करें । तो इसका अर्थ है कि उसने अपने वीटो शक्ति का प्रयोग किया है।  अर्थात उसने उस प्रस्ताव को मना किया है ।

सर्वप्रथम वीटो का प्रयोग अमेरिका ने किया था ।

सबसे अधिक बार वीटो का इस्तेमाल रूस ने किया है, लगभग 100 से भी ज्यादा बार ।

और सबसे कम चीन ने वीटो का प्रयोग किया है ।

अगर भारत की बात की जाए तो भारत भी लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है । हो सकता है भारत को इसके लिए और इंतजार करना पड़े कारण मित्र राष्ट्रों द्वारा इसका विरोध किया जाना, इसमें शामिल है अमेरिका, रूस और चीन । हालांकि इसे हासिल करने के लिए भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील ने G4 नामक एक संगठन बनाया है ।

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तो दोस्तो यह था वीटो शक्ति के बारे में । अगर Post अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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