विधायक और सांसद में अंतर एव शक्तियां

Difference in MLA & MP and their Powers in hindi

Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करेंगे, राजनीति विज्ञान में विधायक (MLA) और सांसद (MP) के बीच अंतर के बारे में और साथ ही साथ जानेंगे इनके अधिकार क्षेत्रों और इनकी शक्तियों के बारे में । दोस्तों भारतीय राजनीति में इन दोनों पदों का अपना महत्व है ।

विधायक (MLA)

सबसे पहले हम जानते हैं, विधायक (MLA) के बारे में । दोस्तों आम बोलचाल में विधायक शब्द से ज्यादा MLA शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है । जिसका मतलब होता है । MLA (Member of Legislative Assembly). यानी कि विधानसभा के सदस्य जो विधायक होते हैं । वह विधानसभा के सदस्य होते हैं और जो विधानसभा होती है । वह राज्य में होती है । विधायक राज्यों से संबंधित समस्याओं और उनके सुधार संबंधी बात करते हैं । विधायक जो अपनी बात रखते हैं, वह राज्य सरकार के समक्ष रखते हैं । उन मुद्दों के बारे में बात की जाती है, जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है । विधायक उनसे संबंधित अपनी बातों को रखते हैं । इसमें राज्य स्तर पर जो मुद्दे आते हैं । जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और राज्य संबंधित नियम और कानून आदि । इसके अलावा विधायकों के बहुमत से जो कानून बनाता है, वह सिर्फ उसी राज्य के लिए ही बनता है, जिस राज्य की वह विधानसभा होती है । एक राज्य की विधानसभा किसी दूसरे राज्य के लिए कानून नहीं बना सकती । और नाही पूरे देश के लिए कानून बना सकती ।

विधायक की शक्तियां (Powers of MLA)

अगर हम विधायक की शक्ति की बात करें तो, उसकी Power उसी राज्य तक सीमित है, जिस राज्य से वह विजयी (win) है । वह अपने क्षेत्र से संबंधित या उस राज्य से सम्बंधित समस्याओं को विधानसभा में रखता है । उसे किसी मुद्दे पर अपना मत रखने का अधिकार है । कानून प्रकिया को सही तरीके से चलाना । संविधान के अनुसार विधायक उन विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं, जिन पर संसद कानून नहीं बना सकती । राज्य सूची और समवर्ती सूची में अपनी विधायी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है । हालाँकि विधानसभा के सदस्य राज्य सरकार के उच्चतम कानून बनाने वाले अंग हैं, लेकिन वह अपनी विधायी शक्तियां का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते ।

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विधानसभा के सदस्य को राज्य के वित्तीय कोष से खर्च किये जाने वाले फण्ड की सहमति देनी होती है । विधानसभा के पास राज्य के सम्पूर्ण वित्त का नियंत्रण और लेखा जोखा होता है । वित्त बिल भी विधानसभा से शुरू होता है । विधायक मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद द्वारा किये गए कार्यों पर नियंत्रण करते हैं ।

सांसद (Member of Parliament or MP)

वहीं अगर हम बात करें सांसद की तो सांसद जिन्हें हम MP के नाम से अधिकतर जानते हैं। जिसका मतलब है, MP (Member of Parliament) यानी संसद के सदस्य । और जो संसद होती है, वह देश की होती है । जिस तरह राज्य में विधानसभा होती है । उसी तरह से संसद पूरे देश की होती है । हमारे देश भारत की संसद दिल्ली में स्थित है । संसद के सदस्य सांसद कहलाते हैं । सांसद राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात को रखते हैं । जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, वित्तीय संबंधित, राष्ट्र से संबंधित नियम और कानून आदि । यानी संसद में देश से संबंधित मुद्दों पर बात की जाती है । सांसद अपनी बातों को केंद्रीय सरकार के सामने रखते हैं ।

अगर कोई कानून संसद के द्वारा बनाया जाता है, तो वह पूरे देश के लिए लागू होता है ।

सांसद की शक्तियां (Power of MP)

अगर हम सांसद की शक्तियों की बात करें तो संविधान द्वारा संसद के सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं । आपातकाल में संसद राज्य सूची विषयों पर कानून तभी बना सकती है, जब राज्य में आपातकाल लगाया गया हो । समवर्ती सूची में संसद को कानून बनाने का अधिकार है । कार्यपालिका अपने कामों और नीतियों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होती है । वित्त के मामलों में वित्तीय समितियों के द्वारा सरकार द्वारा खर्च का हिसाब और नियंत्रण । ससंद के सदस्य को कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं । किसी मामले में सांसद को समिति की बैठक या अधिवेशन के पहले और बाद के 40 दिन की अवधि की गिरफ्तारी से छूट है । सदन में बोलने की स्वतंत्रता । संसद या समिति में कही गयी किसी बात के लिए सांसद को न्यायालय में उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता ।

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