राष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्य

संघीय कार्यपालिका एवं भारत का राष्ट्रपति

Federal Executive and President of India

Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका स्वागत है और आज हम जानेंगे भारतीय संविधान में संघीय कार्यपालिका और भारत के राष्ट्रपति के बारे में । इस Post में हम जानेंगे राष्ट्रपति के निर्वाचन, उनके पद, योग्यता, वेतन, अधिकार क्षेत्र और कर्तव्यों के बारे में । भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है । राष्ट्रपति को भारत का प्रथम नागरिक कहा जाता है । परन्तु नागरिक के रूप में राष्ट्रपति को अपने कर्तव्यों का पालन करना होता है । राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होता है ।

भारत में संसदीय व्यवस्था होने के कारण राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है । परंतु वास्तिवकता में प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है ।

राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता और निर्वाचन

आइये अब जानते हैं, राष्ट्रपति के पद के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं के बारे में । संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह निम्न शर्तों को पूरा करे ।

1) व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए ।

2) वह व्यक्ति 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो ।

3) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने की योग्यता रखता हो ।

4) चुनाव के समय किसी लाभ का पद धारण न किया हो ।

इसका अपवाद यह है कि यदि वह व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का सदस्य हो, तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा ।

राष्ट्रपति का चुनाव और शांतिकालीन शक्तियां के लिए यहां Click करें ।

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है । जिसमें राज्य सभा, लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य आते हैं । नई व्यवस्था के अंतर्गत इसमें पांडिचेरी विधानसभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है । एक ही व्यक्ति जितनी बार भी चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है ।

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए निर्वाचक मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक (Approve) होते हैं । राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है ।

राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है । निर्वाचन अवैध घोषित होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं ।

राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से पांच वर्ष की अवधि तक के लिए अपने पद पर आसीन रहता है ।  अपने पद की समाप्ति के बाद भी वह पद पर तब तक बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है । पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी गैरमौजूदगी में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है ।

राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पांच वर्ष से पहले भी पद त्याग सकता है

1) उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र द्वारा ।

2) महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर (अनुच्छेद 56 एवं 61) महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है, जो अनुच्छेद 61(1) में उल्लेखित है, वह है संविधान का अतिक्रमण ।

कार्यपालिका (Parliamentary Executive) के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।

राष्ट्रपति पर महाभियोग

राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन करने पर संसद किसी सदन द्वारा उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है । परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले ही लिखित सूचना दी जाए । जिस पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हों । संसद के उस सदन, जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया गया है, उसके दो-तिहाई सदस्यों द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा । तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगा या कराएगा और ऐसी जांच में राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने वाला प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है । तो राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उसी तिथि से राष्ट्रपति को पद से त्याग देना होगा ।

इस प्रकार राष्ट्रपति को हटाए जाने के बाद खाली पद को 6 महीने के अंदर भरना होता है

अगर राष्ट्रपति पद पांच वर्ष की अवधि पूरा होने के बाद खाली हुआ है, तो अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रकिया पहले ही कर कर ली जायेगी अनुच्छेद 61(1) । अगर निर्वाचन में अधिक समय लगता है तो ‘राज-अंतराल’ न होने पाए । इसिलिए यह कानून है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त होने के बाद भी तब तक पद पर बना रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता है, अनुच्छेद 56(1) ग ।

 इसका अपवाद यह है कि उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकता ।

राष्ट्रपति के भत्ते एवं वेतन

आइये अब जानते है, राष्ट्रपति के वेतन और उनके द्वारा ली जाने वाली सुविधाओं और भत्ते के बारे में ।

राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते  वर्तमान में राष्ट्रपति का मासिक वेतन 5 लाख रुपया है । सन 2017 तक यह 1.5 लाख रुपये प्रति माह हुआ करता था ।

राष्ट्रपति का वेतन पूर्णरूप से आयकर से मुक्त होता है ।

राष्ट्रपति को नि: शुल्क निवासस्थान व संसद द्वारा स्वीकृति अन्य भत्ते मिलते हैं ।

लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तम्भ : कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके वेतन तथा भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है ।

कार्यकाल समाप्ति के पश्चात राष्ट्रपति के लिए 1.5 लाख रुपये प्रति महीने पेंशन के रूप में मिलती है ।

राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य

आइये अब जानते हैं, राष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्यों के बारे में । मुख्य रूप से राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जाती है और प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्री पद के अन्य सदस्य चुने जाते हैं । इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा निम्न पदों की नियुक्ति भी की जाती है ।

सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों,

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,

राज्यों के राज्यपाल,

मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त,

भारत के महान्यायवादी,

राज्यों के मध्य समन्वय के लिए अंतर्राज्यीय परिषद के सदस्य,

संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों,

संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों,

वित्त आयोग के सदस्यों,

भाषा आयोग के सदस्यों,

पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों,

अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों,

भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों,

अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि |

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

विधाई (कानूनी) शक्तियां

आइये अब जानते हैं, राष्ट्रपति की कानूनी शक्तियों के बारे में । राष्ट्रपति को संसद का अभिन्न अंग माना जाता है । कानूनी आधार पर राष्ट्रपति को बहुत सारी शक्तियां प्रदान की गई हैं ।  इस तरह से राष्ट्रपति को निम्नलिखित विधायी शक्तियां प्राप्त हैं ।

1) संसद के सत्र को संयोजित करने तथा सत्रावसान सभा (Prorogation meeting) भंग करने संबंधी अधिकार ।

2) संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रूप से दोनों सदनों में अभिभाषण (Address) करने का अधिकार ।

3) लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में सम्मिलित रूप से संसद में अभिभाषण करने का अधिकार ।

4) संसद द्वारा पारित विधेयक (Bill) राष्ट्रपति के अनुमोदन (Approval) के बाद ही कानून का रूप लेता है ।

5) संसद द्वारा अनेक विधेयक पारित किए जाते हैं । हालांकि निम्न विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक है ।

(i) नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्य के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी विधेयक के लिए ।

(ii) धन संबंधित विधेयक अनुच्छेद 117(1)

(iii) संचित निधि (Reserve Fund) में व्यय (Expenses) करने वाले विधेयक, अनुच्छेद 117(3)

(iv) ऐसे कराधान पर, जिसमें राज्य के हित जुड़े हैं । प्रभाव डालने वाले विधेयक आदि ।

(v) राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन (Restriction on Fellowship) लगाने वाले विधेयक ।

प्रथम विश्व युद्ध कैसे हुआ : कारण और परिणाम के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।

सैनिक शक्ति अधिकार

भारत में राष्ट्रपति को सैन्य शक्ति प्राप्त है । वह तीनो सेनाओं वायु, जल और थल का सर्वोच्च सेनापति होता है । सैन्य बालों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में सन्निहित है, किन्तु इसका प्रयोग विधि द्वारा नियमित होता है । वह सेनाओं के अध्यक्षों और अन्य अधिकारियों को नियुक्त करता है । किसी युद्ध मे सेना भेजने की अनुमति राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है ।

राजनैतिक शक्ति

सैद्धान्तिक रूप से राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रधान होता है । अन्य देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है । राष्ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की नियुक्ति करता है एवं भारत में विदेशों के राजदूतों की नियुक्ति का अनुमोदन (Approval) करता है ।

अपराध क्षमा करने का अधिकार

संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलम्बन, परिहार और लघुकरण की शक्ति प्राप्त है ।

संसद सदस्यों के चयन का अधिकार

राष्ट्रपति द्वारा संसद के सदस्य Nominate किये जाते हैं । जब राष्ट्रपति को यह लगे की लोकसभा में आंग्ल भारतीय (Anglo Indian) समुदाय के व्यक्तियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हैं, तब तक वह उस समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के सदस्य के रूप में नामांकित कर सकता है । इसी प्रकार वह कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान तथा सामाजिक कार्यों में पर्याप्त अनुभव एवं दक्षता रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्य सभा में नामजद कर सकता है ।

अध्यादेश जारी करने की शक्ति

संसद के स्थगित के समय अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी किया जा सकता है । जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है । इसका प्रभाव संसद सत्र शुरू होने के सप्ताह तक रहता है । परन्तु, राष्ट्रपति राज्य सूची के विषयों पर अध्यादेश नहीं जारी कर सकता । जब दोनों सदन सत्र में होते हैं, तब राष्ट्रपति को यह शक्ति नहीं होती है ।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां

आइये अब जानते है राष्ट्रपति की आपातकाल से संबंधित शक्तियो के बारे में । जो कि भारतीय संविधान के भाग-18 के अनुच्छेद 352 से 360 के अंतर्गत मिलता है । मंत्रिपरिषद के परामर्श से राष्ट्रपति आपात लागू कर सकता है ।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां को जानने के लिए यहाँ Click करें ।

तो दोस्तो ये था राष्ट्रपति के बारे में । उनके कर्तव्यों, अधिकारों, उनकी शक्तियों, निर्वाचन प्रणाली, वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं के बारे में । अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.