राज्य और समाज में मुख्य अंतर

Difference in Society and State

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं । राज्य और समाज के बीच मुख्य अंतर । वे कौन कौन से कारक हैं, जिनसे राज्य और समाज एक दूसरे को अलग करता है अथवा एक दूसरे के बीच संबंध स्थापित करता है । तो जानते हैं उन महत्वपूर्ण अंतरों के बारे में ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । मनुष्य की सभी आवश्यकताएँ समाज मे रहकर ही पूरी होती हैं । अरस्तु के अनुसार मनुष्य एक सामाजिक और राजनीतिक प्राणी है । जब मनुष्य के सामाजिक ज़रूरतें पूरी हो जाती है तो उसे राजनीतिक स्तर पर भी अपना विकास करना होता हैं । अरस्तु और प्लेटो राज्य तथा समाज में कोई अंतर नहीं करते थे, क्योंकि उनके समय में राज्य तथा समाज एक ही थे । उन में कोई अंतर नहीं था । जो नगर राज्य थे । वह राजनीतिक संगठन भी थे और वह सामाजिक संगठन भी थे । यहां तक कि महान विचारकों हीगल और कांट ने भी राज्य तथा समाज में कोई विशेष अंतर नहीं माना है ।

हिटलर और मुसोलिनी भी राज्य तथा समाज का प्रयोग एक ही अर्थ में किया करते थे । यह दोनों अधिनायकवादी विचारक थे । इन्होंने की अधिनायकवाद को कार्यरत रूप में प्रेरित किया था । जब मुसोलिनी यह कहता है कि समाज, राज्य के अंतर्गत है । राज्य के बाहर समाज कुछ भी नहीं । इसका अर्थ यही है कि राज्य और समाज एक ही है ।

इसके बावजूद भी राज्य तथा समाज में कई सारे अंतर पाए जाते हैं । राज्य एक एक राजनीतिक शब्द है । जबकि समाज एक सामाजिक शब्द है । राज्य तथा समाज दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं ।

तो आइए राज्य तथा समाज के बीच के अंतर को मुख्य आधारों पर समझते हैं ।

1 उत्पत्ति के आधार पर

2 भूभाग के आधार पर

3 विस्तार के आधार पर

4 संगठन के आधार पर

5 संप्रभुता के आधार पर और

6 उद्देश्य और लक्ष्य के आधार पर

इन अंतरों को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं ।

1 उत्पत्ति के आधार पर

राज्य तथा समाज में पहला अंतर उत्पत्ति की दृष्टि से है । समाज, राज्य की तुलना में अधिक अधिक विकसित है । अर्थात समाज का विकास राज्य से पहले हुआ है । इस तरीके से मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । सामाजिकता उसका स्वाभाविक गुण है । जबकि राजनीतिक भावना व्यक्ति में आगे चलकर पैदा होती है । सामाजिक ज़रूरतों के बाद राज्य का उदय होता है । इस प्रकार समाज राज्य से पहले बना है ।

2 भूभाग के आधार पर

दूसरा मुख्य अंतर भूभाग के आधार पर है । तो राज्य जो है बिना भूभाग के नहीं होता । उसका एक प्रदेशिक संगठन है यानी राज्य के लिए एक भूमि होना अत्यंत आवश्यक है । जबकि समाज के लिए ऐसा जरूरी नहीं है । समाज के लिए कोई निश्चित भूमि होने की आवश्यकता नहीं होती है । जो समाज होता है – वह पूरे विश्व में फैल सकता है । जैसे मुस्लिम समाज, ईसाई समाज आदि । इस प्रकार भूभाग पर आधारित अंतर है । आपको यह समझना पड़ेगा कि राज्य का एक निश्चित क्षेत्र होता है । जबकि समाज का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता ।

3 विस्तार के आधार पर

राज्य तथा समाज के बीच तीसरा अंतर है, विस्तार के आधार पर । समाज और राज्य का विस्तार होता रहता है । समाज, राज्य की अपेक्षा अधिक व्यापक है । समाज का जो क्षेत्र होता है – जो विस्तार होता है । वह राज्य की अपेक्षा अधिक व्यापक स्तर पर होता है । समाज मानव जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है । जबकि राज्य केवल राजनीतिक पहलुओं से जुड़ा हुआ होता है । समाज के अंतर्गत कबीले, जनजातियां, क्षेत्र, रीति रिवाज, सामाजिक वेशभूषा, भाषा, संस्कृती सभी का अध्ययन किया जाता है । जबकि राजनीति विज्ञान के अंतर्गत केवल राज्य और उससे संबंधित बातों का अध्ययन किया जाता है ।

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4 संगठन के आधार पर

चौथा अंतर संगठन के आधार पर पाया जाता है । राज्य बड़ी संगठित संस्था है और संगठन उसकी अनिवार्य विशेषता है । लेकिन समाज के लिए ऐसा जरूरी नहीं है । समाज संगठित और असंगठित दोनों ही हो सकता है । समाज परिवर्तनशील होता है । राज्य के संगठन की तुलना में कठोर नहीं बल्कि शिथिल होता है और जो राज्य के चार आवश्यक तत्वों में से एक राजनीतिक संगठन है । लेकिन समाज के लिए राजनीतिक संगठन अनिवार्य नहीं है ।

5 संप्रभुता के आधार पर

जो पांचवा अंतर है, राज्य और समाज के बीच वह है, संप्रभुत्वता के आधार पर । राज्य और समाज सत्य की दृष्टि से एक दूसरे से अलग हैं । राज्य एक संप्रभुता संपन्न संस्था है और समाज संप्रभुता हीन होता है । जो संप्रभुता होती है । वह राज्य का आवश्यक गुण होता है । बिना संप्रभुता के राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती । राज्य अपने कानूनों को मनवाने की बाध्यता की शक्ति रखता है । अगर आप राज्य के नागरिक हैं, राज्य में रहते हैं । तो राज्य के भी कानून होते हैं । यह आप के लिए लागू होते हैं और राज्य शक्ति रखता है कि वे कानून आप से मंगवाए । लेकिन समाज के पास इस प्रकार की कोई शक्ति नहीं होती ।

6 उद्देश्य और लक्ष्य के आधार पर

छटा जो अंतर है -वह उद्देश्य के आधार पर । उद्देश्य और लक्ष्य की दृष्टि से भी राज्य और समाज में काफी अंतर पाया जाता है । राज्य का जो उद्देश्य होता है, वह सीमित है । समाज का उद्देश्य व्यापक होता है । राज्य का उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक होता है । इसके अलावा समाज का उद्देश्य सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक सभी होता है । तो इस प्रकार ने देखा जाए कि राज्य तथा समाज के बीच प्रमुख अंतर हैं ।

निष्कर्ष : –

हालाँकि राज्य और समाज में महत्वपूर्ण अंतर होते हुए भी, यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं । क्योंकि वर्तमान में सभी भूभाग को राज्यों में निर्धारित किया जा चुका है । अब समाज राज्य का अंग ही माना जाता है, क्योंकि राज्य के अंतर्गत समाज आता है । इससे भी बढ़कर समाज और राज्य सामान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होते हैं । दोनों समान लक्ष्य विकास की ओर अग्रसर हैं । मानव के व्यक्तित्व विकास और कल्याण करना दोनों का लक्ष्य है ।

तो कहा जा सकता है कि समाज और राज्य में विभिन्न अंतर होते हुए भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ।

तो दोस्तों ये थे समाज और राज्य में अंतर और संबंध अगर ये Post अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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