राज्य और राजनीति में संबंध

Relation in State and Politics in Hindi

Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करेंगे, राजनीति विज्ञान में राज्य और राजनीति के संबंध के बारे में । अक्सर विद्यार्थी इस बात को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि आखिर राज्य क्या है ? और राजनीति क्या है ? और इन दोनों में आपस में क्या संबंध है, तो उसी Confusion को दूर करने के लिए हम आज का Topic लाए हैं । तो चलिए जानते हैं इनके बारे में ।

अक्सरतः विद्यार्थियों को इस तरह के Question में समस्या आती है । तो हम जान लेते हैं, राजनीति क्या है ? और इसको राज्य के साथ क्यों जोड़ा जाता है, और राज्य क्या है ? इसको राजनीति के साथ क्यों जोड़ा जाता है, और साथ में यह भी एक समस्या आती है कि राजनीति ना हो तो राज्य का क्या अस्तित्व है ? या फिर राज्य ना हो तो राजनीति का क्या अस्तित्व होगा ? तो इसलिए हम इसको एक बार अलग-अलग करके देखेंगे कि राज्य का है ? और जानेंगे इनके महत्वपूर्ण अंगों के बारे में । राजनीति क्या है ? और राजनीति के अंग । इसके बाद में इनके संबंध के बारे में बात करेंगे और साथ ही साथ ही यह भी जानेंगे कि इन दोनों का एक साथ होना कितना महत्वपूर्ण है । तो चलिए शुरू करते हैं ।

राज्य क्या है ? What is State in Hindi ?

राज्य शब्द को राजनीति विज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । राजनीति विज्ञान राज्य का विज्ञान है और इसमें राज्य ही संपूर्ण अध्ययन का केंद्र बिंदु होता है ।

राज्य को राजनीति के अंदर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि राज्य नीतियों को बनाता है और इन नीतियों को लागू भी करता है । इसके अलावा अलग-अलग विचारको ने राज्य (State) के ऊपर अपने अलग अलग विचार दिए हैं । जैसे उदारवादियों के अनुसार राज्य समझौते से बना है, जबकि मार्क्स के अनुसार से राज्य शोषण को बढ़ावा देता है । आज के इस दौर में राज्य की भूमिका और भी तेजी से बढ़ती जा रही है ।

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राज्य की परिभाषा के लिए राजनीतिक विचारक गार्नर वैज्ञानिक दृष्टि से सबसे खरे उतरते हैं और उनकी परिभाषा सबसे सटीक और आधुनिक मानी जाती है । गार्नर के अनुसार,

“राज्य मनुष्य के उस समुदाय का नाम है, जो संख्या में चाहे अधिक हो या कम हो । परंतु स्थाई रूप से किसी निश्चित भूभाग पर बसा हुआ हो । जो कि बाहरी शक्ति के नियंत्रण से लगभग स्वतंत्र हो और जिसमें एक ऐसी सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था या सरकार विद्यमान हो । जिसको आदेश का पालन करने के लिए उस भूभाग के सभी निवासी अभ्यस्त होते हैं ।”

राज्य के आवश्यक तत्व (Important Parts of State)

आइये अब जानते हैं, राज्य के अवश्यक तत्त्वों के बारे में । राज्य को बनाने के लिए क्या क्या चीज़े ज़रूरी हैं ? किसी राज्य के बनने या होने के लिए भूमि, जनसंख्या, सरकार, प्रभुसत्ता और प्रशासन आदि महत्वपूर्ण हैं । किसी एक के बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती । राज्य के कुछ महत्वपूर्ण तत्व निम्नलिखित हैं ।

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भूमि (भूभाग) (Land/the Terrain)

तो सबसे पहले हम राज्य के सबसे मुख्य तत्व भूमि यानी ज़मीन के बारे में जानते हैं । सबसे पहले हमें राज्यों को बनाने के लिए भूभाग चाहिए होता है । एक जगह, स्थान या भूमि चाहिए जहाँ लोगों को बसाया जा सके । ऐसा नहीं कि राज्य एक छोटे से स्थान पर बन जाता है । राज्य को बनाने के लिए बहुत बड़ा भूभाग चाहिए होता है । भूभाग होने के लिए उसके साथ सुविधाएं भी होनी चाहिए, ताकि जनसंख्या को बसाया जा सके और उसकी जरूरतों को पूरा किया जा सके । ऐसा नहीं कि रेगिस्तान में लोगों को बसा दिया जाए, या फिर पहाड़ो पर या जंगलों में । यह काफी मुश्किल काम है, यानी भूभाग या जगह ऐसी होनी चाहिए, जो लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सकें ।

जनसंख्या (Population)

हमारे पास बहुत बड़ा भूभाग है । अगर उस भू-भाग पर लोग ना रहे, तो उस भू-भाग के होने का कोई फायदा नहीं है । भूभाग पर लोगों को बसाया जाता है और साथ-साथ उनको मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं । जिससे वह अपना जीवन व्यतीत कर सकें । यह भी राज्य का एक आवश्यक तत्व माना जाता है । कुछ लोग जैसे 10, 20, 50 या 100 लोग होने से राज्य नहीं बन पाता । तो लोगों को अधिक से अधिक संख्या में बसाया जाता है । जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग राज्य को बसाने या राज्य का निर्माण करने के लिए चाहिए होता है । राज्य में लोगों को सुविधाएं देने के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और कारखानों का निर्माण किया जाता है ।

सरकार (Government)

सरकार राज्य को संचालित करने के लिए एक तंत्र होता है । राज्य के लिए एक संगठित सरकार का होना बहुत ही आवश्यक है । अब हमारे पास धरती का एक बहुत बड़ा भूभाग है और हमारे पास भारी मात्रा में जनसंख्या भी है । अब राज्य को पूरा करने के लिए किस चीज की आवश्यकता होती है ? यहां पर अब सरकार की जरूरत है । मान लीजिए कि अगर नागरिक को खुला छोड़ दिया जाए, तो शायद वह अपनी वह मनमानी करें । लोग अनियंत्रित होंगे, कुछ भी व्यवस्थित नहीं होगा । सब कुछ तितर वितर होगा ।

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सरकार लोगों के लिए लोगों द्वारा चुनी जाती है । जो प्रशासन के द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करती है । वहीं पर सरकार, लोगों को अधिकार देती है, उनके अधिकारों पर नियंत्रण करती है और उनके अधिकारों का हनन होने से बचाती है । तो नागरिकों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए जिससे कि कोई गैर कानूनी कार्य ना हो । तो इसमें सरकार की आवश्यकता पड़ती है ।

प्रभुसत्ता (Sovereignty)

राज्य का चौथा महत्वपूर्ण अंग संप्रभुता है । यह राज्य की सर्वोच्च इच्छा शक्ति है । इसके अधीन राज्य में निवास करने वाले सभी लोग रहते हैं । संप्रभुता ही वास्तव में किसी राज्य की पहचान है । बिना संप्रभुता के कोई भी राज्य राज्य नहीं कहा जा सकता और संप्रभुता राज्य को एक अलग पहचान दिलाती है । जटिल के अनुसार संप्रभुता ही राज्य का लक्षण है । जो उसे अन्य समुदायों से अलग करता है । संप्रभुता ही राज्य को अन्य समुदायों से अलग करता है ।

संप्रभुता राज्य की वह सर्वोच्च शक्ति है । जिसके अधीन उस राज्य क्षेत्र में निवास करने वाले सभी लोग रहते हैं । संप्रभुता को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।

राजनीति क्या है ? What is Politics ?

अब बात करते हैं, राजनीति की । Political शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के Polis शब्द से हुई है, जिसका मतलब होता है, नगर-राज्य । प्राचीन समय मे जो नगर राज्य होते थे, वह बहुत छोटे-छोटे होते थे । उनकी जनसंख्या बहुत कम होती थी और क्षेत्रफल भी बहुत अधिक नहीं होता था । नगर राज्य की स्थिति, कार्यप्रणाली एवं गतिविधियों से संबंधित विषय का अध्ययन करने वाले विषय को Greek निवासी Politics कहते थे ।

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वर्तमान में राजनीति विज्ञान के अध्ययन का क्षेत्र बहुत बढ़ चुका है । अब ये व्यक्तियों के द्वारा किये गए सभी कार्यों एवं कार्यकलापों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है, जिनका संबंध उसके जीवन के राजनीतिक पहलू से होता है । वर्तमान में राजनीति हर क्षेत्र में विद्यमान है । आज के समय मे राजनीति को हर घर, स्कूल, कॉलेज, संस्था, देश से लेकर विदेश में देखा जा सकता है ।

राजनीति के आवश्यक तत्व (Important Parts of Politics)

सरकार (Government)

राजनीति  को चलाने के लि सरकार आती है । सरकार को चलाने के लिए नेताओं की आवश्यकता होती है, जिनको राजनेता कहा जाता है । जो राजनीति का अर्थ होता है, राज करने की नीति । इसलिए हम इसे साधारण भाषा में राजनीति कहते हैं । जबकि इसका मतलब वर्तमान में बहुत ज्यादा बदल चुका है । हर कोई इसको अपने हिसाब से देखता है । लेकिन शब्दों के अनुसार राज करने की नीति को ही राजनीति बोला जाता है ।

राजनीति में तो सरकार को महत्वपूर्ण अंग कहा जाता है । बिना सरकार के राजनीति नहीं चल सकती यानी इसमें राजनेता नहीं होंगे तो सरकार किस तरह किस से चलेगी ।

प्रशासन (Administration)

जिस तरह से राज्य के अंदर जनता को नियंत्रित करने के लिए और नीतियां बनाने के लिए सरकार की आवश्यकता होती है । उसी तरह राजनीति में भी प्रशासन की जरूरत होती है, क्योंकि राजनीति में हर किसी का, हर किसी पार्टी की अपनी समय सीमा अलग-अलग होती है । कोई 5 वर्ष के लिए चुन के आते हैं, तो कोई 6 वर्ष के लिए । इस तरीके से प्रशासन के अंदर कार्यपालिका का अलग काम है । विधायिका का काम है और न्यायपालिका का अपना अलग काम है । इसके अलावा जो नौकरशाही है, उसके अलग काम होंगे और नेताओं के अपने अलग काम होंगे । अगर नेताओं के काम पर कोई नियंत्रण ना किया जाए तो वह अपने अनुसार काम करेंगे ।

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कानून (Law/enactment)

जहां राजनीति है, राजनीति में सरकार है, प्रशासन है, वही राजनीति में कानून का भी बहुत महत्व होता है । कानून व्यवस्था का होना भी बहुत जरूरी है । क्योंकि जो लोग किसी जगह में रहते हैं, उनको नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है । अगर वह कुछ ऐसा करने जा रहे हैं, जो उनको नहीं करना चाहिए या जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, खिलाफ है । तो उनको रोकने के लिए में कानून व्यवस्था की जरूरत होती है । राजनीति में कानून द्वारा नियम बनाये जाते हैं । कानून की अवहेलना करने पर सज़ा का प्रावधान भी किया जाता है ।

न्याय (Justice)

राजनीति के अंदर जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य होता है, वह है न्याय । राज्य में रहने वाले नागरिकों के लिए न्याय की उचित व्यवस्था बहुत आवश्यक है । न्याय के लिए न्यायपालिका जैसे हम पहले से जानते हैं कि विधायिका और कार्यपालिका का अपना काम होता है । इस तरीके से न्यायपालिका भी अपना काम होता है क्योंकि न्याय प्रक्रिया अलग है । किसी भी राज्य में न्याय व्यवस्था अच्छी है, तो इसका मतलब उनका प्रशासन अच्छा है । यह सारी चीजें आपस में एक दूसरे से सम्बंधित है । तो राजनीति में आपने जाना कि महत्वपूर्ण क्या होता है ।

राज्य और राजनीति में संबंध (Relationship in State and Politics)

आइये अब जानते हैं, अक्सरतः राज्य और राजनीति दोनों को साथ में क्यों आते हैं और एक दूसरे की जरूरत क्या है ? कल्पना करो अगर राज्य ही नहीं है । तो इसमें फिर राजनीति की आवश्यकता ही क्यों होगी । राज्य में अगर लोग ही नहीं है, तो कानून का क्या काम होगा यानी लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होगा । कोईबगलत कार्य नहीं होगा । तो कानून की भी आवश्यकता नहीं होगी । तो फिर न्याय की भी आवश्यकता नहीं होगी । यानी अगर कोई राज्य है, तो हमें सरकार भी चाहिए, राजनीति भी चाहिए, प्रशासन भी चाहिए और साथ में न्याय भी चाहिए । राज्य और राजनीति को साथ मिलाकर चला जाता है । यह आपस में एक दूसरे के पूरक हैं । यह बहुत बड़ी भूमि पर रह रही जनसंख्या को और उसके प्रशासन को पूरा ध्यान में रखने के लिए, उसे चलाने के लिए,  उसकी सारी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए आवश्यक है ।

राज्य में रह रहे हर नागरिक की जरूरत पूरी करने के लिए उनको मूलभूत सुविधाएं दी जाती हैं, जैसे । स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य, रोजगार आदि । और इन सब को नियंत्रण करने के लिए हमें प्रशासन चाहिए ही चाहिए । अगर हम राजनीति और राज्य को अलग अलग करके देखेंगे तो इनका कोई अस्तित्व नहीं होता । राजनीति के बिना राज्य अधूरा है और राज्य के बिना राजनीति । क्योंकि राजनीति अपने आप में अलग सिद्धांत हैं । यह सिद्धांत तब तक नहीं कार्य करेगा जब तक कि उसका इस्तेमाल नहीं किया जाए और राज्य को नियंत्रित करने के लिए राजनीति की जरूरत पड़ती ही पड़ती है । बिना राजनीति के, राजनेताओं के, या प्रशासन के राज्य को चलाया नहीं जा सकता । क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद उसको कहीं ना कहीं नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है । तो राज्य को राजनीति की जरूरत है ।

तो दोस्तों हमने जाना राज्य, राजनीति और इनमें आपस मे संबंध । इनकी आवश्यकता, महत्वपूर्ण अंग और महत्व के बारे में । अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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