भारत की संचित और आकस्मिकता कोष

Consolidated and Contingency Funds of India

Hello दोस्तो ज्ञानउदय में आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे भारत की संचित निधि और आकस्मिकता निधि (Consolidated and Contingency Funds of India) के बारे में । साथ ही साथ जानेंगे इसका संविधान में इसकी व्यवस्था और इसके प्रयोग के बारे में । तो जानते हैं, आसान भाषा में ।

संचित निधि या कोष (Consolidated Fund)

संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अनुसार, भारत की संचित निधि में उस कोष को शामिल किया जाता है, जो सरकार के द्वारा को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों और शुक्ल से प्राप्त सभी राजस्व (Revenue), भारत सरकार द्वारा दिए गए सभी ऋण और सरकार द्वारा प्राप्त सभी ऋणों की पुनर्भुगतान राशि और ब्याज़ शामिल को किया जाता है ।

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इस संचित निधि का प्रयोग सरकार अपने खर्चों के लिए करती है, जो कि बिना संसदीय स्वीकृति के किये जाते है । ये व्यय या तो संविधान द्वारा स्वीकृत होते है या संसद द्वारा कोई कानून बना कर किये जाते हैं । कुछ संवैधानिक पदों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिये यह व्यय प्रयोग लाए गए हैं । जो कि निम्नलिखित हैं ।

1) राष्ट्रपति का वेतन एवं भत्ता और अन्य व्यय के सभापति के खर्च के लिए ।

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2) राज्य सभा सभापति और उपसभापति तथा लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्ते ।

3) सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ता तथा उनकी पेंशन ख़र्च के लिए ।

4) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का वेतन, भत्ता तथा पेंशन खर्च के लिए ।

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5) ऐसा ऋण-भार, जिनका दायित्व भारत सरकार पर है, उसे निपटाने के लिए ।

6) भारत सरकार पर किसी न्यायालय द्वारा दी गई डिक्री या पंचाट के लिए ।

7) कोई अन्य व्यय जो संविधान द्वारा या संसद के किसी कानून द्वारा इस प्रकार भारित घोषित करें ।

आकस्मिक निधि (Contingency Fund)

भारत की आकस्मिकता निधि, संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार वह कोष होता है, जो देश की आकस्मिक आवश्यकताओं के लिए रखा जाता है । संविधान के द्वारा संसद को इस निधि को बनाने की शक्ति दी गई है । इस निधि में समय समय पर संसद द्वारा बनाये गए कानूनों के अनुसार कोष को जमा किया जाता है । इस निधि का नियंत्रण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है । इसका प्रयोग देश में कोई आकस्मिक स्थिति या आपदा होने पर किया जाता है ।

आकस्मिक निधि से संबंधित तथ्य

1) संविधान का (अनुच्छेद 267) संसद और राज्य विधान मंडल को, यथास्थिति, भारत या राज्य की आकस्मिकता निधि सर्जित करने की शक्ति देता है ।

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2) यह निधि, 1950 द्वारा गठित की गई है. यह निधि कार्यपालिका के व्यवनाधीन है ।

3) जब तक विधान मंडल अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान द्वारा ऐसे व्यय को प्राधिकृत नहीं करता है, तब तक समय-समय पर अनवेशित व्यय करने के प्रयोजन के लिए कार्यपालिका इस निधियों से अग्रिम धन दे सकती है ।

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4) इस निधि में कितनी रकम हो यह समुचित विधान मंडल विनियमित करेगा ।
तो दोस्तो ये था संचित निधि और आकस्मिक निधि के बारे में । अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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