भारत की संघीय विधायिका

India’s Federal Legislature

राज्यसभा और लोकसभा क्या है ? इनकी शक्तियां

Hello दोस्तो ज्ञान उदय में आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे भारतीय संविधान में भारत की संघीय विधायिका के बारे में । भारत में संसद एक बड़ी केंद्रीय व्यवस्थापिका है, जिसका गठन लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति को मिलाकर किया जाता है ।

राष्ट्रपति भारतीय संसद का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है । संसद के प्रमुख अंग के रूप में राष्ट्रपति के कार्य और शक्तियों के बारे में हम पहले ही बता चुके हैं, नीचे Link पर Click करके आप राष्ट्रपति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

राष्ट्रपति की शक्तियों और निर्वाचन प्रणाली के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के लिए यहाँ Click करें ।

राज्यसभा (Council of States)

आइये अब बात करते हैं, भारतीय संसद के अंग राज्यसभा के बारे में । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 द्वारा भारतीय संसद के उच्च सदन के रूप में राज्यसभा का उल्लेख किया गया है ।

राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है । वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 245 है ।

इनके सदस्यों का चुनाव राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों द्वारा किया जाता है । जिनमें से कुल 233 विधानमंडलों​ द्वारा किया जाता है । शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है ।

लोकतंत्र क्या है ? (Introduction of Democracy) जानने के लिए यहां Click करें ।

राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि वह कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा तथा खेल के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखते हो । अर्थात देश में उनका योगदान होना आवश्यक है ।

राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है ।

लोकतंत्र की सफलता की शर्तें जानने के लिए यहां Click करें ।

लोकतंत्र पर नेहरू जी के विचारों के लिए यहाँ Click करें ।

राज्यसभा एक स्थायी सदन है । इसको कभी भंग नहीं किया जा सकता । हर दो वर्ष के बाद इसके एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते है और उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव किया जाता है ।

राज्यसभा में भी विपक्ष के नेता को केबिनेट मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त होता है ।

राष्ट्रपति द्वारा एक साल में कम से कम दो बार राज्यसभा का अधिवेशन बुलाया जाता है ।

राज्यसभा की अंतिम बैठक तथा अगले सत्र की पहली बैठक के बीच में छह महीने से ज़्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए ।

लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।

राज्यसभा सदस्य की अनिवार्य योग्यताएं

सदस्य भारत का नागरिक हो ।

उसकी आयु 30 वर्ष से अधिक होनी चाहिए ।

वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं हो ।

वह पागल या दिवालिया न हो ।

सदस्य जिस राज्य का प्रतिनिधित्व पाना चाहता है, वह उस राज्य के किसी संसदीय क्षेत्र का मतदाता हो ।

राज्यसभा सदस्यों को 6 वर्ष के लिए चुना जाता है ।

सभापति (Chairman)

उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है ।

राज्यसभा के सदस्यों में से एक उपसभापति का चुनाव किया जाता है ।

सभापति (उपराष्ट्रपति) की अनुपस्थिति में उपसभापति, सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है ।

राज्यसभा के कार्य और शक्तियां

आइये अब जानते हैं, संसद के मुख्य अंग राज्यसभा के कार्य और इसकी शक्तियों (Powers) के बारे में । राज्यसभा और लोकसभा (इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है ।) दोनों साथ मिलकर कानून बनाती है । संविधान में संशोधन करती है । संसद का मुख्य अंग होने के कारण इसकी सहमति के बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता । संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत केवल राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन कर सके ।

संसदीय कार्यपालिका क्या है ? जानने के लिए यहाँ Click करें ।

संविधान के अनुच्छेद 249 के अंतर्गत सिर्फ राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सके । इस प्रकार से संसद राज्य सूची के उस विषय पर भी कानून बना सकती है, जो एक माह से अधिक (अगर आपातकाल लागू रखना हो तो) उस प्रस्ताव का अनुमोदन (Approval) लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों से होना बहुत जरूरी है ।

लोकसभा (House of Commons)

आइये अब बात करते हैं, संसद के दूसरे महत्वपूर्ण अंग के बारे में । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 के अन्तर्गत लोकसभा का गठन पांच वर्ष के लिए किया जाता है ।

लोकसभा को भारतीय संसद का निम्न सदन माना जाता है ।

लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि होते हैं ।

लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 हो सकती है, वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है ।

अलग अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 543 सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं ।

लोकसभा के लिए राष्ट्रपति दो आंग्ल भारतीय समुदाय के सदस्यों को मनोनीत कर सकता है । यदि उनके मत में उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो तो ।

लोकसभा सदस्य के लिए योग्यताएं

लोकसभा का सदस्य होने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है ।

उस व्यक्ति की आयु 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए ।

वह व्यक्ति भारत या राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो ।

वह पागल या दिवालिया न हो ।

कार्यकाल (Period)

हालांकि लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का है, लेकिन इसे प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा समय से पहले भी भंग किया जा सकता है ।

लोकसभा की शक्तियां एवं कार्य

लोकसभा द्वारा कानून राज्यसभा तथा राष्ट्रपति के साथ मिलकर बनाया जाता है ।

लोकसभा द्वारा ही बजट पारित किया जाता है ।

लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा ही कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं । इसका फैसला भी लिया जाता है ।

संविधान में संशोधन लोकसभा और राज्यसभा दोनों साथ मिलकर करती है ।

लोकसभा के सदस्यों द्वारा मंत्रियों पर नियंत्रण रखा जाता है और उनके दायित्वों के प्रति जागरूक किया जाता है । किसी एक मंत्री के खिलाफ अविश्वास या को गलत निर्णय पूरा मंत्रिमंडल सामुहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है । अर्थात मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी रहती ।

इस प्रकार लोकसभा, राज्यसभा तथा विधानसभाओं के साथ मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है । जबकि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में राज्य विधानसभाएं भाग नहीं ले सकतीं ।

उपराष्ट्रपति की निर्वाचन प्रणाली और शक्तियों के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।

तो दोस्तों ये था भारत की संघीय विधायिका के बारे में उनकी कार्यशक्ति । अगर Post अच्छी लगी हो तो जानकारी को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें, तब तक के लिए धन्यवाद !

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