फासीवाद क्या है

What is Fascism ?

Hello दोस्तों ज्ञानउदय (GyaanUday) में आपका स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान और विश्व इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण विषय फासीवाद (Fascism in hindi) के बारे में । इस Topic में हम जानेंगे फासीवाद का अर्थ, उत्पत्ति, विकास, महत्वपूर्ण सिद्धांत और इसकी विशेषताओं के बारे में ।

तो जानना शुरू करते हैं, फासीवाद के बारे में ।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद यूरोप में बड़ी संख्या में राजनीतिक आंदोलन हुए, जिसको फासीवाद का नाम दिया गया था । इसका मुख्य उद्देश्य तानाशाही राज्य की स्थापना करना था । इसके शासकों को पूंजीपतियों का पूरा समर्थन प्राप्त था, क्योंकि शासकों ने उनको समाजवाद के खतरे से बचाने वादा किया था । सबसे पहले जान लेते हैं, फासीवाद क्या है ?

फासीवाद का अर्थ और उत्त्पत्ति

मुसोलिनी द्वारा इटली में शुरू की गई तानाशाही राजनीति को फासीवाद के रूप में देखा जाता है । इसे एक प्रकार से सर्वाधिकारवाद का व्यवहारिक रूप कहा जा सकता है । यह फासीवाद का एक व्यवहारिक और क्रियात्मक रूप है ।

फासीवाद शब्द Fascism का हिंदी अर्थ है और Fascism शब्द इटालियन भाषा के Fascia से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, लकड़ी का गट्ठर और कुल्हाड़ी । जिसमें लकड़ी का गट्ठर एकता का प्रतीक है और कुल्हाड़ी शक्ति का प्रतीक है ।

फासीवाद एक सिद्धांत के रूप में बहुत कम तथा शासन के व्यवहारिक रूप में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है । फासीवाद पहले व्यवहार में आया बाद में इसने सिद्धांतों का रूप धारण किया ।

तत्कालीन समय और परिस्थितियों की मांग के कारण उत्पन्न और आवश्यकताओं के अनुरूप इसमें अनेक विचारों को शामिल किया गया । यानी फासीवाद कोई एक निश्चित सिद्धांत नहीं था । शुरुआत में यह तत्कालीन समय और परिस्थितियों की मांग की वजह से उत्पन्न हुआ और जरूरतों के हिसाब से इसमें कई तरीके के विचारों को शामिल कर लिया गया था ।

फासीवाद की उत्पत्ति तथा विकास

इटली में फासीवाद के आंदोलन की शुरुआत 1919 में हुई । जो प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद का समय था । तो प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की तरफ से इटली ने भाग लिया था । लेकिन इटली को उसका उचित लाभ नहीं मिल सका । जबकि इटली को आर्थिक रूप से इससे बहुत ज्यादा नुकसान ही हुआ था ।

इस प्रक्रिया से पूरे देश में विशेषकर सैनिकों में प्रतिक्रिया का माहौल था । देश की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और इस समय सरकार अप्रभावी और कमजोर थी और कोई शासन के लिए आर्थिक स्थितियों के लिए ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठा रहा था ।

ऐसे में मुसोलिनी ने घोषणा की कि फासीवाद । मार्क्सवाद, उदारवाद, शांतिवाद तथा स्वतंत्रता का खुला दुश्मन है । मुसोलिनी ने एक सम्मेलन बुलाया, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी कि फासीवाद जो है, मार्क्सवाद, उदारवाद, शांतिवाद तथा स्वतंत्रता का खुला दुश्मन है और राज्य सत्ता की सर्वोच्चता, उग्र राष्ट्रवाद, युद्ध नायकवाद और अनुशासन में विश्वास करता है ।

फासीवाद की प्रतिक्रिया

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद की प्रतिक्रिया के स्वरूप फासीवाद आंदोलन बहुत तेजी से विकसित हुआ । संसदीय प्रणाली में कई सारी कमियां थी । जैसे नशाखोरी, मज़दूरों द्वारा छोटी छोटी बात पर हड़ताल आदि । इसके अलावा जो पूंजीपति लोग थे, उनके सामने भी डर का माहौल था और मुसोलिनी के नेतृत्व में 1919 में फासीवाद शुरू हो गया और मुसोलिनी ने 1922 में रोम की तरफ जाकर, उस पर आक्रमण कर दिया । इस तरीके से मुसोलिनी का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया । इसके बाद मुसोलिनी ने खुले तौर पर अधिनायकवाद की भूमिका को अपना लिया और 1926 में इटली में पूर्ण रूप से अधिनायकवाद तानाशाही की स्थापना हो गई ।

मुसोलिनी ने इटली की संसद को भी बंद कर दिया और इटली का तानाशाह बन गया ।

फासीवाद के प्रमुख सिद्धांत और विशेषताएं

फासीवाद एक व्यावहारिक आंदोलन है । जिसमें किसी निश्चित सिद्धांत का अभाव पाया जाता है । मुसोलिनी खुद कहता था कि हम कार्य में विश्वास करते हैं, बातों में नहीं  । इस प्रकार से देखा जाए तो फासीवाद मूल रूप में एक व्यवहारिक आंदोलन है, जिसमें किसी निश्चित सिद्धांत का अभाव है ।

इसी तरीके से दूसरा सिद्धांत है । फासीवादी उग्र राष्ट्रवाद तथा प्रबल राष्ट्रवाद में विश्वास करते हैं । राष्ट्र सर्वोच्च है और राष्ट्र के हित में इसके सम्मुख सभी कोशिश इसके बाद आती है और यह लोग राष्ट्र को प्रधानता देते हैं ।

फासीवाद का तीसरा सिद्धांत है । फासीवाद सर्वाधिकारवाद या राज्य की संपूर्ण सत्ता में विश्वास करते हैं । राज्य के ऊपर या बाहर कुछ नहीं । यानी के राज्य शक्ति, अनुशासन तथा व्यवस्था का प्रतीक होती है और राज्य से ऊपर राज्य से परे कुछ भी नहीं है ।

इसके अलावा फासीवाद युद्ध तथा समग्र साम्राज्यवाद में विस्तार करता है । फासीवाद शांतिपूर्ण साधनों की बात नहीं करता और साम्राज्यवाद में विश्वास करते हैं । मुसोलिनी कहता था कि जिस प्रकार से मातृत्व है, उसी प्रकार पुरुष के लिए युद्ध है । साम्राज्यवाद को भी मुसोलिनी आवश्यक समझता था । उसके अनुसार साम्राज्यवाद जीवन का शाश्वत तथा अटल नियम है और विस्तार इटली के लिए जीवन तथा मृत्यु का प्रश्न है । या तो अपना विस्तार करें या नष्ट हो जाए ।

अगला प्रमुख सिद्धांत यह है कि फासीवाद तर्क और विवेक में विश्वास नहीं करता है । यह समय तथा परिस्थितियों की स्वाभाविक प्रवृत्तियों में विश्वास करता है ।

अगला महत्वपूर्ण सिद्धांत है । फासीवाद स्वतंत्रता तथा तथा उदारवादी का विरोधी है । जो अनुशासन और कठोर शासन में विश्वास करता है । फासीवादी विचार जो है, वह स्वतंत्रता और उदारवाद का विरोधी है । फासीवादी कठोर शासन में विश्वास करते हैं । उनके अनुसार राज्य के हित के लिए व्यक्ति के हित को भी त्याग जा सकता है ।

अगला विशेषता है फासीवादी की । फासीवादी लोकतंत्र और संसदीय शासन का विरोधी है । फासीवाद लोकतंत्र और संसदीय शासन का विरोधी है । फासीवाद कुलीन तंत्र में विश्वास करता है तथा लोकतंत्र का जो नारा है, स्वतंत्रता, समानता तथा भ्रातृत्व को नकार कर, इसके स्थान पर फासीवाद का एक अलग ही नारा था । उत्तरदायित्व अनुशासन और उच्च वर्ग का समर्थन ।

फासीवादी लोकतंत्र का जो उपहास करते थे और फासीवाद को सड़ी गली सरकार समझते थे । इसके अलावा फासीवाद भी आंदोलन की एक और प्रमुख विशेषता है । व्यक्ति पूजा है और व्यक्तित्व की पूजा जिसमें एक व्यक्ति को शासन दिया जाता है । और जो अधिनायकवाद की तरह शासन करता है । अधिनायकवाद व्यवस्था के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं । जिसमें राज्य के संबंध में जो भी निर्णय होते हैं । वह भी बहुत तेजी से लिए जाते हैं और राष्ट्रहित के आधार पर किसी भी नीति का अनुसरण किया जाता है ।

तो हमने पढ़ा किस तरह फासीवाद की उत्पत्ति हुई, उसका अर्थ, विशेषताएं तथा फासीवाद के प्रमुख सिद्धांत जिनके आधार पर फासीवाद का विकास हुआ ।

तो दोस्तों ये था फासीवाद के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो, आप अपने दोस्तों के साथ Share कर सकते हैं । तब तक के लिए धन्यवाद !!

This Post Has 3 Comments

  1. Ruchi arya

    This is too good ..its very helpful for me..thank you so much😍

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