पंचशील सिद्धांत क्या हैं और इसका अंत

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका स्वागत है और आज हम जानेंगे राजनीति विज्ञान में पंचशील के सिद्धांतों के बारे में । पंचशील समझौता किसे कहते हैं ? पंचशील के पांच सिद्धांत कौन कौन से हैं ? साथ ही साथ इस Post में हम जानेंगे इसकी विशेषताएं और आलोचनाओं के बारे में । तो जानते हैं, आसान भाषा में ।

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पंचशील समझौता क्या है ?

यह एक ऐसा समझौता है, जिसके द्वारा भारत ने अंग्रेजों से मिले उन सभी विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया, जो भारत को तिब्बत में प्राप्त थे । पंचशील शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है । पंच और शील जिसका मतलब है, पांच आचरण या व्यवहार के नियम । पंचशील शब्द को प्राचीन भारत के बौद्ध अभिलेखों से लिया गया है, जोकि बौद्ध भिक्षु के व्यवहार को नियमित तथा निर्धारित करने वाले पांच मुख्य नियम होते हैं । पंचशील भारतीय विदेश नीति का एक मूल सिद्धांत है, जो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और अहस्तक्षेप के विश्वास के आधार पर राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए इन सिद्धांतों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है ।

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पंचशील समझौते का प्रतिपादन

पंचशील के सिद्धांतों पर औपचारिक रूप से भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और शांति के समझौते पर 29 अप्रैल 1954 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे । यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा चीन के पहले प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई के बीच हुआ था जून 1954 में चीनी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान संयुक्त घोषणापत्र में इसे द्वारा प्रतिपादित किया गया था ।

पंचशील के पांच सिद्धांत

आइए अब बात करते हैं, पंचशील के उन 5 सिद्धांतों के बारे में जोकि प्राचीन भारत के बौद्ध अभिलेखों से लिए गए हैं । जो कि बौद्ध के व्यवहार तथा निर्धारित नियम पर आधारित हैं, जो कि निम्नलिखित हैं ।

1) एक दूसरे की क्षेत्रीय (प्रादेशिक) अखंडता व प्रभुसत्ता का सम्मान करना । आपस मे सम्मान की भावना को बढ़ावा देना ।

2) एक दूसरे पर आक्रमण ना करना

3) एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करना

4) समानता तथा पारस्परिक लाभ की ओर ध्यान देना

5) शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की ओर अग्रसर होना

इन पांच सिद्धांतों द्वारा भारत और चीन के बीच तनाव को काफी हद तक कम कर दिया गया था और इसके बाद भारत और चीन के बीच व्यापार और विश्वास बहाली को काफी बल मिला था । इसी बीच हिंदी चीनी भाई भाई के नारे का उदगम हुआ । जिससे आपस मे सम्मान की भावना पैदा हुई ।

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समझौते का विखंडन

यह समझौता ज़्यादा समय तक नहीं चल पाया । इसमें विवाद तब पैदा हुआ चीन ने जुलाई 1958 में एक विवादित नक्शे के दौरान लद्दाख से लेकर असम की सीमा को चीन के भूभाग के रूप में प्रदर्शित किया । इसके बाद 1959 में तिब्बत ने चीनी नीतियों का विरोध किया । जिसके फलस्वरूप चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया । इस तरह तिब्बती गुरु दलाई लामा और उनके अनुयाई वहाँ से भागकर भारत में आ गए । भारत में उन्हें शरण दी और यहीं से भारत और चीन के संबंध खराब होते चले गए । इस तरह चीन ने भारत को ही दोषी बताया । इसके आधार पर चीन ने भारत के विरुद्ध सन 1962 में एक तरफा युद्ध की घोषणा भी कर दी और इस युद्ध से भारत को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ ।

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हालांकि पंचशील समझौता भारत और चीन ने आपसी संबंधों को ठीक करने के लिए किया था । लेकिन चीन ने इसका गलत फायदा उठाया और इस तरह पंचशील समझौते को इस युद्ध के जरिए खत्म कर दिया ।

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भारत ने इस समझौते को बहाल करने की काफी कोशिश की परंतु चीन के आक्रमण द्वारा इस समझौते की आत्मा भी मर गयी । कुछ राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा यह कहा जाता है कि पंचशील समझौता मात्र 8 वर्षों के लिए था । लेकिन इसके बावजूद भारत का विश्वास इस समझौते को लेकर अभी भी स्पष्ट है ।

निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रों के बीच शांति, सुरक्षा तथा संबंधों के संचालन में पंचशील की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि यह राष्ट्रों के बीच अहस्तक्षेप, आक्रमण को ना करना तथा आपस में शांति तथा सहयोग पर बल देना रहा था ।

तो दोस्तों यह था पंचशील समझौता, इसकी विशेषताएं और आलोचना के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी है, तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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