जॉन लॉक का सामाजिक समझौता सिद्धांत

Social Contract System by John Locke

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में जॉन लॉक के सामाजिक समझौता सिद्धांत (Social Contract Principle of John Locke) के बारे में । इससे पहले हमने जॉन लॉक के सम्पत्ति पर विचार जान चुके हैं । साथ ही साथ हमनें जॉन लॉक की मानव और प्राकृतिक संबंधी विचारों के बारे में भी जाना था ।

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जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि जॉन लॉक 17वीं शताब्दी के प्रसिद्ध राजनीतिक चिंतक और विचारक थे । जिन्होंने प्राकृतिक अधिकार, सामाजिक समझौते और निजी संपत्ति पर अपने विचार दिए । आइये जानते हैं, जॉन लॉक के सामाजिक समझौते के सिद्धांत के बारे में ।

लॉक का समझौता सिद्धांत

जॉन लॉक को उदारवाद की आत्मा कहां जाता है । उदारवाद का मूलतत्व स्वतंत्रता माना जाता है । जॉन लॉक शासन को व्यक्ति की स्वतंत्रता की प्राप्ति का साधन मानते हैं । जॉन लॉक की प्राकृतिक अवस्था शांतिपूर्ण और आदर्श मानी जाती है । लेकिन उसमें कुछ असुविधाएं भी मिलती है । लॉक के इस सिद्धांत में 3 कमियां थी, जो कि निम्नलिखित हैं ।

1) प्राकृतिक अवस्था में कोई निश्चित और सर्वमान्य नियम नहीं थे । जिस तरह से हर एक व्यक्ति इन नियमों की व्याख्या अलग अलग तरीके से करते थे ।

2) इस अवस्था में निष्पक्ष निर्णायक का अभाव मिलता है । जो विधियों की स्पष्ट रूप से व्याख्या कर सके ।

3) प्राकृतिक अवस्था की तीसरी कमी यह थी कि निर्णय को सही तरीके से चलाने या उसे लागू करने वाली कोई शक्ति नहीं थी । जिसके कारण निर्णय सही ढंग से कार्य नहीं कर पा रहे थे ।

इस तरह प्राकृतिक अवस्था में निष्पक्ष न्याय की उम्मीद नहीं की जाती जा सकती । जिसकी वजह से व्यक्तियों का जीवन असुरक्षित तथा अनिश्चित होने लगा था । ऐसी दशा में इन असुविधाओं को रोकने, नियमों को स्पष्ट बनाने और उनकी व्याख्या करने तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों को सजा देने जैसे प्रावधान की आवश्यकता थी । इन्ही असुविधाओं को दूर करने के लिए व्यक्तियों ने आपस में समझौता किया ।  एक कुशल शासन सत्ता की आवश्यकता थी ।

जॉन लॉक की राजनीतिक विचारधारा में उसके सामाजिक समझौता सिद्धांत का महत्वपूर्ण स्थान है । मानव प्रकृति की धारणा में हॉब्स ने मनुष्य को पशु माना है । वही जॉन लॉक ने मनुष्य को एक नैतिक व्यवस्था को स्वीकार करने वाला, तथा उसके अनुसार आचरण करने वाला प्राणी माना है ।

लॉक के इन समझौते का उद्देश्य विधियों यानी कानून की स्पष्टता के साथ व्याख्या भी करना था, जबकि हॉब्स के समझौतों का मूल उद्देश्य विधियों का निर्माण करना था । जॉन लॉक प्राकृतिक विधि का समर्थक करता है और प्राकृतिक विधि सार्वभौमिक रूप में विद्यमान रहती है । मतलब समझौतों के द्वारा ही विधि की व्याख्या स्पष्ट की जा सकती है तथा निश्चित रूप से की जा सकती है । यही लॉक ने अपने समझौतों के मूल उद्देश्यों का सिद्धांत बताया है ।

जॉन लॉक के समझौतों का स्वरूप भी सामाजिक था । जिस तरीके से हॉब्स ने भी सामाजिक रूप ही बताया है । हॉब्स के समझौते में व्यक्तियों ने आपस में मिलकर अपनी सारी शक्ति एक व्यक्ति या एक राजा को सौंप देते थे । जबकि लॉक के समझौते में प्रत्येक व्यक्ति ने संपूर्ण समाज को अपने व प्राकृतिक अधिकार समर्पित कर दिए । जिनसे जिनके प्रयोग से प्राकृतिक अवस्था में अव्यवस्था फैलती थी । हॉब्स के अनुसार एकाकी पशु है, परन्तु लॉक ने मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी माना है ।

इस तरह जॉन लॉक के समझौते में व्यक्ति अपने सभी प्राकृतिक अधिकार अपने पास रखते हैं और केवल एक अधिकार अर्थात कानून की व्याख्या करने, उसे चलाने तथा उल्लंघन करने वालों को दंड देने का अधिकार का परित्याग करते हैं । इसका अर्थ यह है कि व्यक्तियों ने उन अधिकारों को जो दिए नहीं जा सकते थे, उन्हें अपने पास ही रखें । जैसे जीवन स्वतंत्रता तथा संपत्ति का अधिकार आदि । जॉन लॉक के अनुसार-

“तुम दूसरों के साथ वही बर्ताव करो, जिसकी तुम दूसरे से अपने प्रति आशा करते हो ।”

समझौते के प्रकार

लॉक के अनुसार प्राकृतिक नियम विवेक पर आधारित है । अब प्रश्न यह उठता है कि जॉन लॉक के समझौते में एक समझौता हुआ या दो उनके विचारों में ऐसा अंतर निहित है कि एक नहीं बल्कि 2 समझौते हुए हैं । यद्यपि लॉक में स्पष्ट रूप से दो समझौतों का उल्लेख नहीं किया है । लेकिन इसके वर्णन से यह प्रतीत होता है कि समझौते दो किए गए हैं । जो कि इस प्रकार हैं ।

1) अगर हम पहले समझौते की बात करें तो यह प्राकृतिक अवस्था का अंत करके समाज या समुदाय की स्थापना करता है इसे नागरिक या राजनीतिक समाज भी कहा जा सकता है ।

2) दूसरे समझौते के अंतर्गत समाज के व्यक्तियों ने मिलकर शासक विषयक समझौता किया जिसके अंतर्गत मूल समझौते को लागू करने के लिए सरकार की स्थापना की जा सकती है ।

प्रमुख विचारकों के विचार

आइए अब कुछ विचारकों के विचार भी जान लेते हैं । अनेक विचारकों ने से समझौता सिद्धान्त के ऊपर अपने विचार दिए हैं । जिनमें हॉब्स, बारकर और सोबाइन प्रमुख हैं । लॉक लॉक की तरह हॉब्स एक समझौतावादी विचारक थे जो मानते थे कि-

“राज्य और सरकार की उत्पत्ति सामाजिक समझौते के द्वारा हुई है ।”

बारकर के अनुसार-

“जॉन लॉक के विचारों में जो गतिविधियां हैं, उनमें पहली गतिविधि समझौता है और दूसरी गतिविधि न्यासिता (Trusteeship) है ।”

समुदाय ने अपने कार्यों को प्रभावी रूप से संपादित करने के लिए सरकार नामक एक ट्रस्ट की स्थापना की है और समुदाय ही न्यासिता है । इस तरह लॉक के विचार से सरकार को एक सीमित दायित्व वाली संस्था माना जाता है ।

सेबाइन के अंतर्गत यह माना जाता है कि-

“जॉन लॉक के विचारों में दो समझौते हुए, एक समझौते से समुदाय की स्थापना हुई । तो दूसरे से सरकार की स्थापना हुई ।”

जॉन लॉक के इस समझौते के अंतर्गत शासक यानी सरकार को असीमित और अमर्यादित शक्ति प्राप्त नहीं है । सरकार व्यक्तियों के जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी लेती है । इस तरह से जॉन लॉक एक सीमित तथा संवैधानिक शासन की आधारशिला रखता है ।

आइए अब बात करते हैं जो जॉन लॉक के सामाजिक समझौते की विशेषताओं के बारे में ।

लोक के सामाजिक समझौते की विशेषताएं

1) जॉन लॉक के सामाजिक समझौता सिद्धांत के अनुसार दो प्रकार के समझौते होते हैं ।

a. पहला समझौता नागरिक के बीच जिससे समाज बनता है । तथा

b. दूसरा समझौता शासक और शासित के मध्य जिससे सरकार बनती है ।

2) इस समझौते के अंतर्गत व्यक्ति अपने अधिकार किसी एक व्यक्ति को ना सौंपकर कर संपूर्ण समुदाय (Whole Community) को सुपुर्द कर देते हैं ।

3) जॉन लॉक के समझौता सिद्धान्त के अंतर्गत शासक यानी सरकार को भी समझौते का एक पक्ष माना जाता है ।

4) जॉन लॉक निरंकुश तथा असीमित सत्ता को नहीं बल्कि सीमित संवैधानिक तथा मर्यादित शासन को स्वीकार करता है ।

5) जॉन लॉक के सिद्धांत में राज्य और शासन के अंतर को स्वीकार किया गया है ।

6) जॉन लॉक का मानना है कि यदि सरकार समझौते की शर्तों का पालन ना करें और सामाजिक हित के विरुद्ध शासन करे, तो शासक की नियुक्ति करने वाली जनता को उसे अपदस्थ यानी पद से हटा देना चाहिए तथा शासक या सरकार के विरुद्ध जनता को विद्वरोह करने का पूर्ण अधिकार रखती है ।

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि जॉन लॉक के सामाजिक समझौते के द्वारा व्यक्तियों के अधिकतम स्वतंत्रता तथा सीमित व संवैधानिक सरकार की बात करते हैं तथा यह भी कहा जा सकता है कि वास्तव में समाज की इच्छा की अभिव्यक्ति है । इस तरह से वह उदारवाद और लोकतंत्र का आधार प्रदान करता है । साथ ही साथ जॉन लॉक का यह भी मानना है कि अगर सरकार समझौते की शर्तों का पालन ना करें, तो जनता को इसके विरुद्ध विद्रोह करने का भी अधिकार मिलना चाहिए ।

तो दोस्तों यह था जॉन लॉक के सामाजिक समझौते के सिद्धांत के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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