रियासतों का एकीकरण और विलय

Hello दोस्तों Gyaan Uday में आपका स्वागत है । आज हम बात करते है, भारतीय संविधान में रियासतों के एकीकरण और उनके विलय की । यानी जो छोटी छोटी कालोनी राज्य या क्षेत्राधिकार थे वे आपस मे कैसे जुड़े । उनका एक दूसरे में समावेश कैसे हुआ ? द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के दौरान भारत में राजनैतिक गतिविधियां में गरमाहट पैदा होने लगी ।

आज़ादी से पहले से ही भारत मे इन रियासतों को एकीकरण करने की प्रकिया शुरू हो गई थी ।

उस समय की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने असहयोग की नीति अपनाया । जिसकी वजह से ब्रिटिश सरकार ने क्रिप्स मिशन (1942), वैवेल योजना (1945), कैबिनेट मिशन (1946) तदुपरांत एटली की घोषणा (1947) द्वारा गतिरोध को हल करने का प्रयत्न किया ।

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सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय रियासतों से देशभक्तिपूर्ण अपील की कि वे अपनी रक्षा, विदेशी मामले तथा संचार अवस्था को भारत के अधीनस्थ बना कर भारत में सम्मिलित हो जायें । उस समय सरदार पटेल राष्ट्रीय अस्थायी सरकार में मंत्रालय के सचिव के रूप में काम कर रहे थे और वी.पी. मेनन उनको सेवाएं प्रदान करते थे ।

आज़ादी के दिन तक यानी 15 अगस्त 1947 तक 136 क्षेत्राधिकार रियासतें भारत में शामिल हो चुकी थीं । हालाँकि कुछ क्षेत्रों ने अपनेआप को अभी भी इस व्यवस्था से अलग रखा । जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है –

हैदराबाद

सबसे प्रमुख हैदराबाद के निजाम इस एकीकरण के पक्ष में नहीं थे । वे हैदराबाद का क्षेत्राधिकार अपने पास तक सीमित रखना चाहते थे । लेकिन यहां की अधिकतर जनता भारत में विलय के पक्ष में थी । जनता ने हैदराबाद को भारत में सम्मिलित करने के पक्ष में कई आदोलन शुरू कर दिये । जनता के इस तीव्र आंदोलन को देखते हुए, निजाम की हर हुई और 29 नवंबर 1947 को निजाम ने भारत सरकार के साथ एक समझौते पर हताक्षर तो कर दिये इसके बावजूद निजाम सरकार दमनकारी नीतियों पर उतर आयी ।

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समझौते के बावजूद सितंबर 1948 तक यह स्पष्ट हो गया कि निजाम को समझा-बुझा कर राजी नहीं किया जा सकता । 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेनाएं हैदराबाद में प्रवेश कर गयीं और 18 सितम्बर 1948 को निजाम ने स्वयं आत्मसमर्पण कर दिया । तब जाकर नवंबर 1949 में हैदराबाद को भारत में शामिल कर लिया गया ।

जूनागढ़

जूनागढ़ पश्चिम भारत के सौराष्ट्र का एक बड़ा राज्य था । हैदराबाद की तरह जूनागढ़ में भी रियासत थी । लेकिन इसका इतिहास हैदराबाद से अलग रह है । यहां का मुस्लिम नवाब महावत खान जूनागढ़ रियासत को पाकिस्तान में सम्मिलित करना चाहता था । लेकिन उस समय में जूनागढ़ की अधिकतर जनता भारत में शामिल होने के पक्ष में थी ।

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नवंबर 1947 में भारतीय फौज जूनागढ़  में प्रवेश कर गई और पर कब्ज़ा कर लिया । इस तरह कब्ज़े से माउंटबेटन नाराज़ हो गए । इसके बाद सरदार पटेल ने उनको जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया । जनता ने भारी बहुमत से भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में निर्णय दिया । जिसमे  लगभग 90 फीसदी से ज़्यादा जनता ने भारत में विलय को स्वीकार किया । इस तरह से 20 फरवरी, 1948 को जूनागढ़ भारत मे शामिल हो गया ।

जम्मू एवं कश्मीर

जम्मू एवं कश्मीर के एकीकरण का इतिहास भी हैदराबाद और जूनागढ़ से अलग रह है । उस समय राज्य का शासक हिन्दू एवं जनसंख्या मुस्लिम बहुसंख्यक थी । यहां का शासक भी कश्मीर की संप्रभुता को बनाये रखने के पक्ष में था । शाशक भारत या पाकिस्तान किसी भी देश के विलय के पक्ष में नही था । हालाँकि कुछ समय बाद नवस्थापित पाकिस्तान ने अपनी सेना को भेजकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । इस तरह यहाँ का शासक विवश हो गया और कश्मीर के शासक ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय-पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर कर दिये । जिसके बाद पाकिस्तान की सेना को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना को जम्मू एवं कश्मीर भेज गया ।

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भारत ने पाकिस्तान द्वारा इस आक्रमण की शिकायत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में करायी तथा उसने जनमत संग्रह द्वारा समस्या के समाधान की सिफारिश की । इसके साथ ही भारत ने 84 हजार वर्ग किलोमीटर का भू-क्षेत्र पाकिस्तान के अधिकार में ही छोड़ दिया । भारतीय संविधान के निर्माण के पश्चात जम्मू एवं कश्मीर राज्य को अनुच्छेद 370 के द्वारा विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

हालांकि अनुच्छेद 370 को भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया गया । यानी जो विशेष अधिकार जम्मू एवं कश्मीर को दिए गये थे, वो अब खत्म कर दिए गए हैं ।

हालाँकि बहुत सारी रियासतें तो अपनेआप ही भारत मे शामिल हो गयी थी । मुख्य रूप से इन तीन रियासतों को भारत मे विलय करने में समय लगा । तो दोस्तों ये था कुछ रियासतों का एकीकरण और विलय । अगर ये Post अच्छी लगे तो दोस्तों के साथ Share करे ।

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तब तक के लिए धन्यवाद !!

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