राष्ट्रीय हित और इसके प्रकार

National Interest in Hindi

Hello दोस्तों ज्ञानउदय आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, अंतरराष्ट्रीय राजनीति विज्ञान में ‘राष्ट्रीय हितों’ के बारे में यानी National Interest in hindi. प्रत्येक देश के लिए राष्ट्रीय हित बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है । राष्ट्रीय हित की प्राप्ति के लिए अनेक साधानों का इस्तेमाल किया जाता है । राष्ट्रीय हित को अंतरराष्ट्रीय राजनीति की आधारभूत अवधारणा माना जाता है। सभी देश हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों के उद्देश्य को पूरा करने में लगे रहते हैं । प्रत्येक राष्ट्र का अपना अपना हित होता है । आइए जानते हैं, राष्ट्रहित के बारे में । साथ ही साथ जानेंगे इसके प्रकार और इसकी प्राप्ति के साधनों के बारे में ।

राष्ट्रीय हित क्या है ?

What is National Interest in Hindi ?

प्रत्येक राष्ट्र द्वारा अपने हितों को ध्यान में रखते हुए विदेश नीतियाँ बनाई जाती हैं । देश की विदेश नीति उसके राष्ट्रीय हितों के आधार पर बनाई जाती है । राष्ट्रीय हित के आधार पर ही कोई देश अपने अच्छे बुरे कार्यों को उचित ठहराने का प्रयत्न करता है । इसके अलावा राष्ट्रीय हित किसी राज्य के व्यवहार का निर्धारण भी करता है, क्योंकि राज्य का अल्पकालीन या दीर्घकालीन लक्ष्य राष्ट्रहित की प्राप्ति के साथ जुड़ा होता है ।

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अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सम्बंध में राष्ट्रीय हित को अस्पष्ट तथा भ्रामक धारणा माना जाता है । क्योंकि कुछ राजनीतिज्ञों तथा नीति निर्माताओं ने राष्ट्रीय हित का इस्तेमाल अपनी आवश्यकता के अनुरूप अपने कार्यों को वैध ठहराने के लिए किया है । आइए जानते हैं, राजनीतिज्ञों के कुछ महत्वपूर्ण विचारों के बारे में ।

मार्गेनन्थाउ के अनुसार

“राष्ट्रीय हित का सीधा अर्थ है, उत्तरजीविता अर्थात दूसरे देशों द्वारा अतिक्रमण के विरुद्ध अपनी भौतिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विशिष्टता को सुरक्षित रखना ।”

चार्ल्स लर्श के अनुसार

“राष्ट्रीय हित साधारण, दीर्घकालीन तथा निरंतर बना रहने वाला उद्देश्य है । जिसे राष्ट्र, राज्य तथा सरकार सभी सदैव पूरा करने में लगे रहते हैं ।”

वी. वी. डाइक के अनुसार

“राष्ट्रीय हित वह है, जिसे राज्य पारस्परिक संबंधों में प्राप्त करना तथा सुरक्षित रखना चाहते हैं ।”

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राष्ट्रीय हित के तत्व

Components of National Interest

आइए अब जानते हैं, राष्ट्रीय हितों के तत्वों के बारे में । वह तत्व जो को देश राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करना चाहता है । उन को दो भागों में बांटा जा सकता है ।

1 अनिवार्य अथवा अपरिवर्तनीय हित (आवश्यक हित)

2 परिवर्तनशील तथा गैर अनिवार्य हित

राष्ट्रहित के अपरिवर्तनीय या आवश्यक तत्व वे हैं, जो किसी राष्ट्र की एकता, अखंडता, राष्ट्र निर्माण और उसके विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं और जिनके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता । विचारक मार्गेनथाउ के अनुसार यह तीन प्रकार के होते हैं ।

i) भौतिक विशिष्ठता

ii) राजनीतिक विशिष्टता

iii) सांस्कृतिक विशिष्टता

भौतिक विशिष्टता राष्ट्रीय हित का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका अर्थ ‘अपने राज्य सीमाओं की पहचान बनाए रखने तथा राष्ट्र की भूमि को एक बनाए रखने से है ।’ जबकि

राजनीतिक विशेषता के मतलब वर्तमान राजनीतिक, आर्थिक प्रणाली को बनाए रखने से है । इसके अलावा

सांस्कृतिक विशिष्टता का अर्थ है कि ‘वह ऐतिहासिक मूल्य जिन्हें राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक परंपरा के रूप में बनाए रखते हैं ।’

साथ ही साथ देश की सुरक्षा को भी राष्ट्रीय हित का एक महत्वपूर्ण और जरूरी तत्व माना जाता है, क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र अपनी विदेश नीति का निर्माण अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ही करता है । इसलिए सुरक्षा राष्ट्रीय हित का अनिवार्य तत्व माना जाता है ।

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राष्ट्र के परिवर्तनशील हित

राष्ट्रीय हित के परिवर्तनशील या गैर जरूरी तत्व वे है, जो या तो परिस्थितियों द्वारा निर्धारित होते हैं या फिर अनिवार्य तत्व की प्राप्ति के लिए जरूरी होते हैं । यह कई कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं । जैसे :- निर्णय, निर्माण, जनमत, दलीय राजनीति, सामूहिक विधियां आदि आती हैं । ये वे तत्व हैं, जो अनिवार्य हितों की प्राप्ति मर सहायक होते हैं ।

राष्ट्रीय हितों के प्रकार

Types of National Interest

आइए अब बात करते हैं, राष्ट्रीय हितों के प्रकार और उसके वर्गीकरण की । विद्वान टी. डब्ल्यू. रॉबिंस ने राष्ट्रीय हितों को 6 भागों में वर्गीकृत किया है । जो इस तरह से हैं ।

1 प्राथमिक हित

यह वह हित हैं, जो किसी राष्ट्र के लिए परम् आवश्यक हैं । जिसका कोई भी राष्ट्र समझौता नहीं कर सकता । इसके अंतर्गत राज्य की अपनी सीमाओं, भूभाग की सुरक्षा, अखंडता, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विशेषता को बनाए रखने को शामिल किया जाता है । राष्ट्र को किसी भी कीमत पर इनकी सुरक्षा करनी होती है ।

2  द्वितीयक हित

ये भी राष्ट्र के लिए बहुत आवश्यक हैं, जो किसी राष्ट्र के अस्तित्व के लिए अनिवार्य हैं । परन्तु प्राथमिक हितों से कम महत्वपूर्ण हैं । इसमें विदेशों में बसे नागरिकों की सुरक्षा तथा कूटनीतिक स्टाफ को सुविधाएं शामिल किया जाता है ।

3 स्थायी हित

यह राज्य के दीर्घकालीन अपरिवर्तनीय हित हैं । यह काफी लंबे समय तक चलते हैं । इनमें परिवर्तन बहुत धीरे होते हैं । इस हित में अपने प्रभाव क्षेत्र को बनाए रखना तथा समुंद्र में जहाजरानी की स्वतंत्रता को आदि शामिल किया जाता है ।

4 परिवर्तनशील हित

किसी राष्ट्र में विशेष परिस्थितियों में यह हित किसी राष्ट्र के लिए आवश्यक हो जाते हैं । यह समय तथा परिस्थितियों के अनुरूप बदलते भी  रहते हैं । जैसे भारत निशस्त्रीकरण का पक्षधर है । परंतु राष्ट्रीय हित में परमाणु शक्ति का परीक्षण किया ।

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5 राष्ट्र के सामान्य हित

यह वह सामान्य हित हैं, जो हर राष्ट्र पर लागू होते हैं । और ये किसी देश के विकास और निर्माण के लिए आवश्यक है । जैसे अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना,  व्यापार कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय शांति तथा व्यवस्था, निशस्त्रीकरण आदि । को इसमें शामिल किया जाता है ।

6 विशिष्ट हित

विशिष्ट हितों को समय के हिसाब से परिभाषित किया जाता है । यह एक सामान्य हित की वृद्धि से उत्पन्न होते हैं । जैसे तीसरे विश्व के राष्ट्रों द्वारा नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की प्राप्ति करना । राष्ट्रों का विशिष्ट हित है ।

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राष्ट्रीय हित में वृद्धि के साधन

Sources to increase National Interest

आइए अब बात करते हैं, राष्ट्रीय हित में बढ़ोतरी किस तरह की जाती हैं या वह कौन से साधन है, जिनके द्वारा राष्ट्रहित में वृद्धि होती है । अपने राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति करना प्रत्येक राष्ट्र का परम कर्तव्य है और प्रमुख अधिकार हैं । राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति के लिए सदैव कार्यशील रहते हैं तथा वह साधन जिनसे राष्ट्र हित मे वृद्धि होती है, निम्नलिखित हैं –

i) कूटनीति

ii) प्रचारप्रसार

iii) आर्थिक सहायता

iv) गठबंधन या संधि

v) अवपीड़क साधन

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आइए अब इनको विस्तार से जान लेते हैं ।

i) कूटनीति को राष्ट्रीय हित को प्राप्त करने का सर्वमान्य साधन माना जाता है । इसके द्वारा एक देश की विदेश नीति दूसरे देश को पहुंचती है तथा विदेश नीति के परिभाषित हितों को कूटनीति द्वारा प्राप्त किया जाता है । इसके प्रमुख साधन जैसे वार्ता, पुरस्कार तथा धमकी आदि के द्वारा कूटनीतिज्ञ राष्ट्रीय हित को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं ।

ii) प्रचार यह भी राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है । प्रचार दूसरों को अपने लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की वैधता देने की कला है । दूसरे राष्ट्रों को प्रभावित करने का प्रयत्न किया जाता है, ताकि वह मान ले कि यह लक्ष्य अनिवार्य है । संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ने इस प्रक्रिया को आसान बनाया है । वर्तमान में राष्ट्र अपने हितों की पूर्ति में वृद्धि के लिए प्रचार प्रसार का इस्तेमाल करते हैं ।

iii) आर्थिक सहायता : आर्थिक सहायता भी राष्ट्रीय हित में वृद्धि करने का एक साधन है । आर्थिक सहायता के द्वारा Loan यानी ऋण किसी धनी देशों द्वारा अपने हितों को प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रयोग किया जाता है । इस आधार पर अमीर देश गरीब राष्ट्रों के संसाधनों आदि का उपयोग करते हैं । जैसे वर्तमान में चीन ने अनेक देशों को आर्थिक सहायता करके उनके संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है । ये संसाधन राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने के प्रमुख साधन माने जाते हैं ।

iv) गठबंधन या संधि के द्वारा भी राष्ट्रीय हितों को प्राप्त किया जाता है । इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक देशों के मध्य किसी हित को पूरा करने के लिए गठबंधन या फिर संधि का इस्तेमाल किया जाता हैं । यह अधिकतर समान तथा पूरक हितों को प्राप्त करने में प्रयुक्त होती है । यह संधि या समझौते किसी भी प्रकार के हो सकते हैं ।  जैसे नाटो, आसियान आदि ।

v) अवपीड़क साधन भी राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने का प्रचलित नियम है । राष्ट्र अपने हितों की प्राप्ति हेतु शक्ति का प्रयोग करते हैं । इसके अंतर्गत अवरोध, बहिष्कार, प्रतिशोध, जवाबी कार्यवाही आदि आते है । इसके अलावा युद्ध भी एक साधन माना जाता है ।

हालाँकि राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने के लिए सभी साधनों का प्रयोग कर सकते हैं । परंतु अवपीड़क साधन को बहुत बेकार माना जाता है । किसी साधन की अनुपस्थिति में इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए । अन्यथा इसके स्थान पर शांतिपूर्ण साधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए । जो कि बहुत कारगर माना जाता है ।

तो दोस्तों यह था राष्ट्रीय हित के बारे में । राष्ट्रीय हित के प्रकार । राष्ट्रहित की प्राप्ति के साधन आदि । अगर यह Post आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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