भारत की परमाणु नीति और विशेषताएं

India’s Nuclear Policy and its Features

Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में भारत की परमाणु नीति के बारे में और साथ ही साथ जानेंगे इस नीति की क्या-क्या विशेषताएं हैं । और जानेंगे कि भारत ने अपनी परमाणु नीति में क्या क्या परिवर्तन किए और क्यों किये ? और भारतीय परमाणु नीति की नई विशेषताएं क्या हैं ? तो आइए जानते हैं ।

हमारा देश भारत वर्तमान में परमाणु शक्ति संपन्न देशों में गिना जाता है । सन 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना से लेकर 2008 में अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील तक भारत की परमाणु नीति का योगदान रहा । यह नीति भारत के पिछले 60-70 वर्षों के विकास का परिणाम है । अतः भारत की परमाणु नीति का अध्ययन इसकी विशेषताओं के परीक्षण में किया जा सकता है । आइये जानते हैं, इसकी विशेषताओं के बारे में ।

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भारत की परमाणु नीति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है ।

1) शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल

भारत की परमाणु नीति की प्रथम विशेषता यह है कि भारत परमाणु ऊर्जा की केवल शांतिपूर्ण प्रयोग का हिमायती है । उसका मानना है कि प्रत्येक राष्ट्र का यह अधिकार है कि वह अपने राष्ट्र के विकास हेतु परमाणु ऊर्जा का उपयोग बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के कर सके । इसलिए भारत का परमाणु कार्यक्रम परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग हेतु विकसित तथा संचालित किया जा रहा है ।

2) निशस्त्रीकरण का समर्थन

भारत की परमाणु नीति की दूसरी विशेषता यह है कि यह प्रमाण पत्रों की प्रयोग व संग्रह का विरोधी रहा है तथा परमाणु शस्त्रों के व्यापक व सार्वभौमिक निशस्त्रीकरण का समर्थक है । इसकी मान्यता यह है कि निशस्त्रीकरण व्यापक और स्थापित सत्यापित किए जाने योग्य होने चाहिए ।

3) आण्विक शस्त्र नियंत्रण व संधियों का विरोधी

भारत की परमाणु नीति की तीसरी विशेषता यह है कि यह आणविक शस्त्र नियंत्रण के ऐसे उपायों तथा संधियों का विरोध करता है, जो पक्षपातपूर्ण तथा समयबद्ध ना हो । इसी कारण इसने एनपीटी (NPT)1968 तथा सीटीबीटी (CTBT)1996 संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए । आणविक अप्रसार संधि एनबीटी, गैर परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों को परमाणु क्षमता अर्जित करने से रोक लगाती है तथा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों द्वारा अपने परमाणु हथियारों पर कोई रोक नहीं है ।

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इसी प्रकार सीटीबीटी (CTBT) भी परमाणु शस्त्रों के निर्माण हेतु सभी परीक्षणों पर रोक लगाती है । परंतु कंप्यूटर में किए गए ऐसे किसी परीक्षण पर रोक नहीं हैं । वस्तुत इस संधि का उद्देश्य परमाणु शक्ति रहित राष्ट्रों को परमाणु परीक्षण करने से रोकना है । ध्यान देने वाली बात यह है कि परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र P5 पहले से इतने हथियार बना चुके हैं कि उनको अब हथियारों के विकास हेतु परीक्षण करने की आवश्यकता ही नहीं है ।

4) निशस्त्रीकरण के क्षेत्रीय प्रयास

भारत की परमाणु नीति की चौथी विशेषता यह है कि परमाणु निशस्त्रीकरण के क्षेत्रीय प्रयास अधूरे हैं । अतः इसका निशस्त्रीकरण सार्वभौमिक और व्यापक स्तर पर होना चाहिए । क्योंकि परमाणु हथियारों का मारक क्षमता वैश्विक स्तर की है तथा इससे केवल सैनिक अड्डे ही नहीं बल्कि पूरी सभ्यता के विनाश का खतरा है । इसका उद्देश्य दुनिया के देशों को परमाणु के ख़तरों से अवगत कराना है ।

5) देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना

भारत की परमाणु नीति का उद्देश्य देश की सुरक्षा और प्रतिरक्षा सुनिश्चित करना है । इसी कारण भारत ने 1974 में परमाणु परीक्षण करने के बाद भी 1998 तक परमाणु हथियार नहीं बनाए थे । परंतु नियंत्रण की दृष्टि से परमाणु हथियारों के विकास का विकल्प खुला रखा ।

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भारत 11 और 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण करने के साथ ही साथ परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया है । तथा इन हथियारों के नियंत्रण प्रयोग हेतु प्रतिबद्ध है ।

भारत की इस परमाणु नीति का पहला मूलभूत सिद्धान्त है कि, पहले हम इसे इस्तेमाल नहीं करेंगे । India’s nuclear doctrine is “No First Use”.

आइए अब जानते हैं 1998 के बाद भारत की परमाणु नीति कैसी थी ।

भारत ने 5 दशकों तक परमाणु शस्त्र ना बनाने तथा शांतिपूर्ण नीति पर आधारित पर मानवीय क्षमता का विकास करने के बाद, भारत ने 1998 में परमाणु हथियार बनाने के लिए 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षण पोखरण-2 के अंतर्गत 5 परमाणु परीक्षण किए । भारत में 1974 में एक परमाणु परीक्षण किया तथा उसके बाद परमाणु परीक्षण ना करने तथा हथियार ना बनाने की नीति को बनाए रखा । परंतु 24 वर्षों के समय अंतराल में परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आया । अपने सुरक्षा हेतु तथा उभरती नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था ने तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप अपनी परमाणु नीति बदलने को भारत को विवश कर दिया । इसी के परिणामस्वरूप भारत ने दोबारा परीक्षण करने तथा परमाणु शस्त्रों के निर्माण का निर्णय लिया ।

स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर सन 1998 तक भारत की परमाणु नीति की निम्नलिखित विशेषताएं रही हैं ।

i) विश्व स्तर पर परमाणु निशस्त्रीकरण का समर्थन तथा परमाणु शस्त्रों का विकास ना करना ।

Ii) परमाणु अप्रसार में विश्वास ।

iii) NPT & CTBT जैसी भेदभाव संधियों पर हस्ताक्षर ना करना ।

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iv) शांतिपूर्ण तथा स्वयं प्रयास से प्रमाणित तकनीकी का विकास करना ।

v) 1974 के परीक्षण के बाद वस्तुओं का निर्माण ना करना ।

vi) सभी भेदभाव पूर्ण और एक पक्षीय संधियों का विरोध करना ।

vii) दक्षिण एशिया को परमाणु विभिन्न क्षेत्र बनाने का विरोध करना ।

viii) 1974 के बाद परमाणु विकल्पों का खुला रखना ।

भारत की परमाणु नीति की विशेषताओं के बाद भारत की इन नीतियों में समय के साथ साथ तथा आवश्यकता अनुसार कई परिवर्तन भी हुए, जो निम्नलिखित हैं ।

भारतीय परमाणु नीति में परिवर्तन

भारत द्वारा किया गया परमाणु परीक्षण कई कारणों का परिणाम था । 1998 में जब बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने नेतृत्व संभाला तो भारतीय परमाणु नीति को समय की आवश्यकता के अनुसार बदलने का फैसला किया । आइए जानते हैं उन मुख्य कारणों के बारे में जिसके कारण भारत में परमाणु से संबंधित नीति में परिवर्तन किए और परमाणु परीक्षण किया ।

1) परोसी देश पाकिस्तान के परमाणु शस्त्र विकास का कार्यक्रम का बनना । उसने चीन तथा उत्तर कोरिया के सहयोग से निश्चित रूप से परमाणु बम का निर्माण कर लिया था ।

2) पाकिस्तान द्वारा दूरगामी मारक क्षमता वाली गौरी मिसाइल का परीक्षण जो परमाणु शस्त्र ले जाने में भी सक्षम थी ।

3) पाकिस्तान द्वारा लगातार अपनाई जा रही भारत विरोधी नीतियों के कारण भी भारत में अपनी परमाणु नीति में परिवर्तन किया ।

4) चीन की बढ़ रही परमाणु शक्ति तथा उसकी भारत के प्रति कटुतापूर्ण रवैया की नीति के कारण भी भारत परमाणु परीक्षण की ओर अग्रसर हुआ ।

5) चीन तथा उत्तर कोरिया का पाकिस्तान के साथ बढ़ता परमाण्विक सहयोग भी भारत के लिए परमाणु नीति में परिवर्तन का एक कारण बना ।

6) भारत द्वारा एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर न करने पर दूसरे देशों द्वारा आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकियां भी इसमें मुख्य कारण रहीं ।

7) विश्व स्तर पर परमाणु शस्त्रों का बढ़ रहा दबाव तथा P5 द्वारा निशस्त्रीकरण को ना मानना भी परमाणु नीति में परिवर्तन का एक कारण माना जा सकता है ।

इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी परमाणु परीक्षण के लिए उत्तरदाई माने जा सकते हैं । जैसे कश्मीर में बढ़ रहे आतंक को नियंत्रित करने हेतु । भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने हेतु । दक्षिण एशियाई क्षेत्र को परमाणु विहीन बनाने के लिए, अमेरिकी चीनी प्रयास आदि ।

इन सभी तथ्यों और कारणों को ध्यान में रखते हुए भारत ने पोखरण-2 किया तथा परमाणु शस्त्र बनाया । भारत ने पांच परीक्षण किए । जो सभी भूमिगत थे । भारत के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में 17 मई 1998 को घोषणा हुई कि भारत ने 11 मई और 13 मई को 45 किलो टन क्षमता के हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है ।

इस प्रकार पिछले 50 वर्षों से चल रही अटकलों तथा बहस का अंत हो गया तथा भारत एक परमाणु शस्त्र सम्पन्न देश बन गया ।

आइए अब जानते हैं, भारतीय परमाणु नीति की नई विशेषताओं के बारे में । आज के समय में भारत के पास परमाणु संबंधित बहुत शक्ति है । भारत आज के समय में परमाणु संपन्न देश है ।

भारतीय परमाणु नीति की नई विशेषताएं

भारत कुल 6 परमाणु परीक्षण कर चुका है तथा अधिक परीक्षण नहीं करना चाहता । वह विश्व में व्यापक निशस्त्रीकरण का पक्षधर है । अनेक देशों ने भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र का दर्जा प्रदान कर दिया है । भारत ने सभी परीक्षण अपनी सुरक्षा और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किए तथा उसकी नीति किसी भी देश पर पहले अस्त्र प्रयोग नहीं करने की है ।

भारत जवाबी कार्यवाही हेतु न्यूनतम विश्वसनीय आणविक प्रतिरोध मिनिमम क्रेडिबल न्यूक्लियर डिटेरेंस के सिद्धांत का पालन करेगा तथा इसकी सुरक्षा, व्यवस्था हेतु निश्चित उपाय करेगा तथा परमाणु शक्तियों के प्रयोग को नियंत्रण करने का अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री के हाथ में होगा ।

भारत के द्वारा निर्मित तथा विदेशी तकनीकी सहायता से भारत ने परमाणु शस्त्र का निर्माण किया । जो इसकी वैज्ञानिकों के सूज बूझ तथा इसकी तकनीकी प्रगति को दर्शाता है । आज भारत विश्व में परमाणु संपन्न देशों में गिना जाता है । परमाणु शक्ति के कारण भारत दूसरे देशों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली है । काफी समय और प्रयास के बाद भारत को यह शक्ति प्राप्त हुई है ।

तो दोस्तों ये था भारत की परमाणु नीतियाँ और विशेषताएं । अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । जब तक के लिए धन्यवाद !!

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