Introduction of Indian Constitution
Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका एक बार फिर स्वागत है । आज हम जानते हैं, भारतीय संविधान के परिचय के बारे में । Introduction of Indian Constitution.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ बुनियादी नियमों (Fundamental Rules) की आवश्यकता होती है । इन बुनियादी नियमों के बिना समाज को नहीं चलाया जा सकता । इसलिए हमें संविधान की आवश्यकता होती है ।
संविधान किसे कहते हैं ?
संविधान उन बुनियादी नियमों और सिद्धांतों के समूह को कहते हैं, जिसके अनुसार किसी देश का शासन चलाया जाता है ।
भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी । डॉ० सच्चिदानंद इसके स्थाई अध्यक्ष थे । 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसका स्थाई अध्यक्ष बना दिया गया । संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 18 दिन में संविधान बनाकर तैयार कर दिया था । इस तरीके से हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को बन चुका था । लेकिन इसे लागू 2 महीने बाद यानी 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया ।
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संविधान सभा
संविधान सभा के द्वारा हमारा संविधान बनाया गया था । संविधान सभा जनता के प्रतिनिधियों की एक ऐसी सभा है, जिसका निर्माण संविधान बनाने के लिए किया गया था । भारतीय संविधान के अंदर कुल 389 सदस्यों को शामिल किया जाना था, जिसमें से 296 सदस्य ब्रिटिश इंडिया से लिए जाने थे और 93 सदस्य भारतीय रियासतों से लिए जाने थे । लेकिन भारत पाकिस्तान का बंटवारा होने की वजह से संविधान सभा का पुनर्गठन करना पड़ा । अबकी बार ब्रिटिश इंडिया से 235 सदस्य और भारतीय रियासतों से 89 सदस्य लिए गए । इस तरीके से संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 324 ही रह गई ।
संविधान निर्माण
संविधान का निर्माण करने के लिए 15 समितियां बनाई गई थी । इन 15 समितियों को अलग-अलग विषय दिए गए थे और 15 समितियों के ऊपर 6 सदस्यों वाली एक प्रारूप समिति बनाई गई थी । प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे । 15 समितियों की सिफारिश के आधार पर प्रारूप समिति द्वारा संविधान का प्रारूप बनाकर 4 नवंबर 1948 को तैयार किया गया । लेकिन इसे जनता के सुझावों के लिए छोड़ दिया गया और 1 साल के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए और 2 महीने बाद 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया ।
हालांकि हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को ही बनकर तैयार हो चुका था लेकिन इसे लागू किया गया 2 महीने बाद । दरअसल, 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था, जिसमें पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया था और यह घोषणा की गई थी कि हर साल 26 जनवरी को आजादी के दिन के रूप में मनाया जाएगा । लेकिन अंग्रेजों ने भारत को आजादी देने से इंकार कर दिया । उसके ठीक अगले साल 26 जनवरी 1930 को आजादी के दिन के रूप में मनाया गया । तो उसी दिन की याद को ताजा बनाए रखने के लिए संविधान को लागू किया गया, 26 जनवरी 1950 को ।
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संविधान की प्रस्तावना
संविधान सभा के अंदर 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे उद्देश्य प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है । इसे प्रस्तावना भी कहते हैं । संविधान को शुरू करने से पहले प्रस्तावना लिखना एक परंपरा बन गई है । तो जिस तरीके से दूसरे देशों ने संविधान को शुरू करने से पहले प्रस्तावना लिखी थी । उसी तरीके से भारतीय संविधान के निर्माताओं ने भी संविधान को शुरू करने से पहले प्रस्तावना लिखी है । प्रस्तावना से संविधान के बारे में संक्षेप में जानकारी मिलती है ।
संविधान एक उधार का थैला
हमारे भारतीय संविधान को एक उधार का थैला भी कहा जाता है, क्योंकि हमारे संविधान निर्माताओं ने दुनियाभर के संविधानों का निरीक्षण किया और जिस देश के संविधान की जो चीज अच्छी लगी उसे अपने संविधान में शामिल कर लिया ।
जैसे संसदीय प्रणाली ब्रिटेन की अच्छी लगी । संघानात्मक व्यवस्था कनाडा की अच्छी लगी । स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धांत फ्रांस का अच्छा लगा । राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के अच्छे लगे । मौलिक अधिकार और न्याय पालिका की स्वतंत्रता अमेरिका की अच्छी लगी ।
तो इन प्रावधानों को दूसरे देशों के संविधान से उठाकर और अपने देश के संविधान में शामिल कर लिया । इसलिए बहुत सारे लोग यह कहते हैं कि भारतीय संविधान एक उधार का थैला है ।
संविधान की विशेषताएं
संविधान की बहुत सारी विशेषताएं हैं । हमारा संविधान एकात्मक और संघात्मक का मिश्रण है । भारतीय संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता दी गई हैं । हालांकि भारत एक संघात्मक राज्य है, लेकिन फिर भी यहाँ पर इकहरी नागरिकता को अपनाया जाता है और भारतीय संविधान कठोर और लचीले संविधान दोनों का मिश्रण है । कठोर संविधान उस संविधान कहा जाता है । जिनमें संविधान में परिवर्तन करने या बदलाव करना मुश्किल होता है । कठिन होता है । और लचीला संविधान उन्हें कहा जाता है, जिस संविधान में परिवर्तन करना आसान होता है । भारतीय संविधान ना तो अमेरिका के संविधान की तरह कठोर है और ना ही इंग्लैंड के संविधान की तरह लचीला है । बल्कि यह कठोर और लचीले दोनों का एक मिश्रण है ।
संविधान में संशोधन
संविधान की कुछ धाराएं ऐसी हैं । जिनमें बहुत आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है, संशोधन किया जा सकता है और संविधान की कुछ धाराएं ऐसी हैं । जिनमें संशोधन करना मुश्किल है । अब एक तो साधारण संशोधन होता है । जिसे दोनों सदनों में पेश करना पड़ता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर कराने होते हैं । वह संशोधन विधेयक पास हो जाता है । तो कठोर तरीका दूसरा है । जिसके अंदर कुछ विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है । विशेष बहुमत का मतलब है, दो तिहाई बहुमत और कहीं-कहीं पर कुछ संशोधन ऐसे होते हैं । जिसमें आधे राज्य की सहमतिओं की भी आवश्यकता होती है । उसके बाद राष्ट्रपति उस विधेयक पर हस्ताक्षर करता है । तब जाकर वह संशोधन बिल पास हो जाता है ।
तो इस तरीके से भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है और हमारे संविधान के अंदर बहुत सारे देशों की विशेषताओं को शामिल किया गया है । इसलिए हमारा संविधान सबसे बेहतर संविधान है ।
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तब तक के लिए धन्यवाद !!