Negative Liberty in Political Science in Hindi
Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, नकारात्मक स्वतंत्रता के बारे में यानी कि Negative Liberty. स्वतंत्रता मानव जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है । मानव अपने जन्म से ही स्वतंत्र, क्रियाशील और रचनात्मक जीव रहा है । इसलिए मानव अधिक से अधिक स्वतंत्रता हासिल करना चाहता है । राज्य के निर्माण से पहले, आधुनिक अवस्था में व्यक्ति का जीवन और स्वतंत्रता सुरक्षित नहीं थे । इसलिए व्यक्ति ने राज्य बनाया । राज्य के निर्माण से सवाल पैदा हुआ कि व्यक्ति को कितनी और किस तरह की स्वतंत्रता दी जाए ।
एक तरफ तो यह विचार पैदा हुआ कि व्यक्ति के विकास के लिए उसे खुला छोड़ दिया जाना चाहिए । और
दूसरी ओर यह विचार पैदा हुआ कि समाज की सुरक्षा के लिए व्यक्ति पर कुछ पाबंदी लगा देनी चाहिए और कानूनों के माध्यम से व्यक्ति को स्वतंत्रता देनी चाहिए ।
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स्वतंत्रता का अर्थ
स्वतंत्रता को अंग्रेजी में Liberty कहते हैं जोकि liber शब्द से बना है जिसका मतलब होता है ‘बंधनों का अभाव’ । इस तरह स्वतंत्रता उस वातावरण को कहते हैं, जो बंधनों के अभाव में दी जाती है । स्वतंत्रता के अर्थ के संबंध में कई विचारक एकमत नहीं है । जैसे हाउस के अनुसार बंधनों के अभाव को स्वतंत्रता कहते हैं । रूसो के अनुसार सामान्य इच्छा के पालन करने में ही स्वतंत्रता है । आंद्रे के अनुसार राज्य के कानूनों का पालन करने में ही स्वतंत्रता है । और नील के अनुसार हर व्यक्ति द्वारा अपने सुख ढूंढने का अवसर ही स्वतंत्रता है ।
इस तरह स्वतंत्रता अनेक अर्थ वाली अवधारणा है । स्वतंत्रता का विकास समय के साथ-साथ धीरे-धीरे हुआ । प्रारंभिक उदारवाद में स्वतंत्रता के लिए बंधनों के अभाव को आवश्यक माना है । इस युग में लोग तानाशाही सरकार से संघर्ष कर रहे थे । इसलिए लोगों ने बंधनों से मुक्ति, प्रतिनिधि सरकार राजनीतिक स्वतंत्रता, सामाजिक स्वतंत्रता पर बल दिया ।
समय के साथ-साथ राजनीतिक दलों को स्वतंत्रता की सुरक्षा का माध्यम माना गया, क्योंकि लोकतंत्र में दल जनता की स्वतंत्रता के लिए काम करता है । और समय के परिवर्तन के साथ-साथ मार्क्सवादी विचारधारा पैदा हुई । मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद में सब को स्वतंत्रता नहीं मिल सकती । इसलिए पूंजीवाद को समाप्त करके समाजवाद की स्थापना करनी चाहिए । ताकि सभी को समान स्वतंत्रता मिल सके । इस तरीके से उदारवाद, खुले वातावरण में सबको स्वतंत्रता नहीं दी गई और मार्क्स ने लोगों की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया ।
तो दोनों ही विचारधारा उदारवाद और मार्क्सवाद स्वतंत्रता की समस्या की समाधान करने में नाकाम रहे हैं । नकारात्मक स्वतंत्रता व्यक्ति के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है । इसके जरिए व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार अपने जीवन जीने के लिए और अधिक से अधिक विकास करने का अवसर मिला । और औद्योगिक क्रांति भी नकारात्मक स्वतंत्रता का परिणाम थी ।
नकारात्मक स्वतंत्रता को लेकर यूरोप में पुनर्जागरण हुआ । इस युग में विचारों के द्वारा पता लगा कि मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है, जो अपना हित और अहित खुद जानता है । इसलिए मनुष्य को खुला छोड़ देना चाहिए । यह विचार इतना लोकप्रिय हुआ । लोग बंधनों का विरोध करने लगे जिससे नकारात्मक स्वतंत्रता पैदा हुई । औद्योगिक क्रांति ने भी साबित कर दिया कि व्यक्ति स्वतंत्रता के वातावरण में अधिक से अधिक विकास कर सकता है ।
एडम स्मिथ और मार्शल जैसे अर्थशास्त्रीयों ने बंधनों का विरोध किया । इसी तरीके से धर्म सुधार आंदोलनों से धार्मिक अंधविश्वास भी काफी कम हो गया । अब बहुत सारे लोग भी बंधनों का विरोध करने लगे । जिससे नकारात्मक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला ।
नकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ
नकारात्मक स्वतंत्रता किसे कहते हैं ? नकारात्मक स्वतंत्रता का मतलब होता है, ऐसी स्वतंत्रता जो बंधनों के अभाव में दी जाती है । नकारात्मक स्वतंत्रता कहलाती है । नकारात्मक स्वतंत्रता की तीन मान्यताएं हैं ।
1 पहली मान्यता है कि व्यक्ति बुद्धिमान प्राणी है, जो अपना हित और अहित जानता है ।
2 दूसरी मान्यता है सभी तरह के बंधन चाहे वह सामाजिक बंधन हो या फिर राजनीतिक बंधन हो व्यक्ति के विकास में बाधा पैदा करते हैं और ।
3 तीसरी मान्यता है कि राज्य की भूमिका सीमित होनी चाहिए क्योंकि राज्य की भूमिका, राज्य का हस्तक्षेप, व्यक्ति की स्वतंत्रता को कम कर देता है ।
नकारात्मक स्वतंत्रता के गुण
हालांकि नकारात्मक स्वतंत्रता के बहुत सारे गुण भी हैं । जैसे नकारात्मक स्वतंत्रता में व्यक्ति को अधिकतम स्वतंत्रता मिलती है । इसीलिए व्यक्ति तेजी से विकास करता है । नकारात्मक स्वतंत्रता में हर व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार काम करने का मौका मिलता है । जिससे समाज में नए-नए आविष्कार होते हैं । नए-नए सुधार होते हैं । नकारात्मक स्वतंत्रता में हर व्यक्ति अपना विकास करता है । जिससे समाज का विकास अपने आप हो जाता है । और नकारात्मक स्वतंत्रता में हर व्यक्ति अधिक से अधिक संपत्ति हासिल करने कोशिश करता है । जिससे राष्ट्रीय आय भी अपने आप बढ़ जाती है । तो दोस्तों यह थे नकारात्मक स्वतंत्रता के गुण ।
नकारात्मक स्वतंत्रता के दोष
नकारात्मक स्वतंत्रता की बहुत सारी कमियां हैं । इसी वजह से बहुत सारे लोग नकारात्मक स्वतंत्रता की आलोचना भी करते हैं । नकारात्मक स्वतंत्रता की आलोचना तीन आधारों पर की जा सकती है ।
1 दार्शनिक आधार पर
2 नैतिक आधार पर और
3 आर्थिक आधार पर
सबसे पहले हम जानते हैं, दार्शनिक आधार पर नकारात्मक स्वतंत्रता की आलोचना क्या है या ये किस तरह से की जाती है । नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक कहते हैं कि व्यक्ति बुद्धिमान और स्वार्थी प्राणी है । लेकिन आलोचकों का मानना है कि व्यक्ति बुद्धिमान और स्वार्थी नहीं होता बल्कि व्यक्ति के अंदर भावनाएं और संवेदनाएं होती हैं ।
दूसरी आलोचना नैतिक आधार पर किंजती है । नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक कहते हैं व्यक्ति को खुला छोड़ देना चाहिए लेकिन आलोचकों का मानना है कि व्यक्ति को खुला नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि व्यक्ति को सिर्फ उसी काम की छूट दी जानी चाहिए जो नैतिक रूप से सही हो नहीं तो समाज के अंदर बुराइयों को बढ़ावा मिलेगा । और
तीसरा है आर्थिक आधार पर नकारात्मक स्वतंत्रता की आलोचना । नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक कहते हैं कि व्यक्ति को खुला छोड़ दो और राज्य को अर्थव्यवस्था के अंदर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए लेकिन इससे शोषण को बढ़ावा मिलता है । इसलिए राज्य को गरीबों के लिए मजदूरों के लिए कुछ नियम बनाने चाहिए ताकि उनका शोषण ना हो ।
तो दोस्तों यह थी नकारात्मक स्वतंत्रता (Negative Liberty) अगर आपको यह Post अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें ।
धन्यवाद !!
Thank you for this best information?
I request you please upload a post on Positive Liberty…???
Ok will upload soon
Nice and easy explanation