जॉन लॉक के संपत्ति पर विचार

John Locke Views on Property

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Hello Friends ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ‘जॉन लॉक (John Locke) के संपत्ति पर विचार’ जॉन लोक एक महान राजनीतिक चिंतक थे । जिसने प्राकृतिक अधिकार सामाजिक समझौते और निजी संपत्ति पर अपने विचार दिए । जॉन लॉक का मानना था कि लोगों ने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सामाजिक समझौते से राज्य बनाया । इसलिए राज्य को सीमित कर काम करना चाहिए । अगर राज्य ज्यादा काम करेगा तो इससे लोगों की स्वतंत्रता नष्ट हो जाएगी । बेहतर राज्य वह है, जो कम से कम काम करें ।

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इस तरह जॉन लॉक ने तीन बातों का समर्थन किया ।

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1 प्राकर्तिक अधिकार

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2 सामाजिक समझौते

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3 निजी संपत्ति

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सबसे पहले हम जानते हैं कि जॉन लॉक ने प्राकृतिक अधिकार किस तरीके से समर्थन किया है । जॉन लोक एक व्यक्ति वादक विचारक थे जिसने व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहुत ज्यादा बल दिया । उनक मानना था कि प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति के पास बहुत सारी स्वतंत्रता थी । लेकिन लोगों की स्वतंत्रता सुरक्षित नहीं थी । इसीलिए लोगों ने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आपस में समझौता करके राज्य बनाया । राज्य को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता नष्ट हो जाए । लोगों ने राज्य का निर्माण अपनी जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा के लिए किया था । राज्य के बनने से पहले व्यक्ति के पास जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति का अधिकार था । इसीलिए यह तीनों अधिकार व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकार हैं । राज्य को इन अधिकारों में बिल्कुल भी दखल नहीं देनी चाहिए ।

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दूसरा जॉन लॉक ने समर्थन किया सामाजिक समझौते का । जॉन लोक का मानना था कि राज्य प्राकृतिक नहीं है बल्कि राज्य को लोगों ने आपस में समझौता करके बनाया है । राज्य व्यक्ति से बड़ा नहीं है क्योंकि बनाने वाला बड़ा होता है और राज्य लोगों ने बनाया है । राज्य ने लोग नहीं बनाए । इसलिए राज्य को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता नष्ट हो जाए या खतरे में पड़ जाए । लोगों ने अपनी जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा के लिए राज्य बनाया । इसलिए राज्यों को सीमित काम करना चाहिए जैसे बाहरी आक्रमण से रक्षा करना चाहिए, शांति की स्थापना करनी चाहिए और न्याय का प्रबंध करना चाहिए इसके अलावा राज्य को कोई और काम नहीं करना चाहिए ।

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तीसरा जॉन लॉक ने जो समर्थन किया है वह संपत्ति का । जॉन लोक ने निजी संपत्ति का समर्थन किया है । उसका मानना था कि संपत्ति व्यक्ति की निजी प्रयासों का प्रतिफल है । संपत्ति के मामले में राज्य को दखल नहीं देना चाहिए । और संपत्ति का अधिकार जो कि राज्य के बनने से पहले भी था इसलिए संपत्ति के मामले में राज्य को बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । इस तरीके से जॉन लॉक ने संपत्ति के ऊपर अपने विचार दिए ।

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जॉन लॉक का यह मानना था कि शुरू में भूमि और उस पर मौजूद तमाम फल सभी मानव जाति को दिए गए थे । लेकिन मानवों को प्रकृति के द्वारा दिए गए फलों का इस्तेमाल करने से पहले अपना बनाना पड़ता था । व्यक्ति का श्रम यानी मेहनत, उनकी योग्यता, उसके हाथों का काम, उसकी अपनी निजी संपत्ति है । और व्यक्ति प्राकृतिक अवस्था में जो कुछ अपनी मेहनत से हासिल करता था । वह उसकी निजी संपत्ति थी । लेकिन शर्त यह थी वह दूसरों के लिए काफी छोड़ दे । और संपत्ति हासिल करने के लिए दूसरों की आज्ञा लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह जिंदा रहने के लिए बहुत ही आवश्यक है जरूरी है । इस तरह जॉन लोक ने निजी संपत्ति का समर्थन तो किया लेकिन उसने संपत्ति के अधिकार पर तीन सीमाएं भी लगाई ।

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पहली सीमा जॉन लोक के अनुसार किसी को भी संपत्ति नष्ट करने का अधिकार नहीं है ।

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दूसरा हर व्यक्ति को संपत्ति हासिल करने का अधिकार है, लेकिन उसे दूसरों के लिए भी काफी छोड़ देना चाहिए ।

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और तीसरा निजी संपत्ति तो सिर्फ वह है जो व्यक्ति अपनी मेहनत योग्यता और ईमानदारी से हासिल करता है ।

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जॉन लोक के द्वारा संपत्ति की विशेषताएं ।

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जॉन लॉक ने संपत्ति की कुछ विशेषताओं के बारे में भी बताया है ।

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सबसे पहली विशेषता है । संपत्ति का अधिकार प्राकृतिक अधिकार है क्योंकि इसके बिना व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है ।

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व्यक्ति की अपनी योग्यता, उसकी मेहनत, उसका श्रम, उसकी अपनी निजी संपत्ति है । व्यक्ति अपने श्रम को बेच सकता है और श्रम को खरीदने वाले व्यक्ति बेचने वाले व्यक्ति का मालिक बन जाता है ।

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निजी संपत्ति समाज के हित के लिए आवश्यक है क्योंकि इससे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है । ज्यादा उत्पादन होता है । और समाज के विकास को बढ़ावा मिलता है । लेकिन समाज के हित के लिए निजी संपत्ति पर कुछ बंधन भी लगाए जा सकते हैं ।

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इस तरीके से जॉन लोक संपत्ति के अधिकार का समर्थन करता है । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जॉन लोक संपत्ति के अधिकार का असीमित समर्थन करते है बल्कि जिस संपत्ति का समाज के हित के लिए कुछ पाबन्दी भी लगा सकता है ।

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This Post Has 2 Comments

  1. Anchal

    I like it but the answer is too much short if you write again fir add some more points and thanks 🙂

  2. Archana

    Thanks

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