चीनी अर्थव्यवस्था के विकास की नीतियां

Policies of Development of China Economy

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में चीनी अर्थव्यवस्था के उत्थान के बारे में । यह Topic राजनीति विज्ञान में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है । इस Topic में हम जानेंगे कि चीन की वह कौन-कौन सी नीतियां रही है, जिसकी वजह से चीन की अर्थव्यवस्था ने इतनी तेजी से विकास किया । साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि वह कौन सी नीतियां और Strategy थी, जो चीन ने अपना कर अपनी अर्थव्यवस्था को दूसरे देशों के मुकाबले बहुत तेज गति से बढ़ाया ।

तो आइए जानते हैं, Step by Step चीन की वह कौन सी रणनीतियां थी, जिनकी वजह से चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाया यानी उसकी अर्थव्यवस्था का उत्थान हुआ । निम्नलिखित तथ्यों के द्वारा समझते हैं आसान भाषा में ।

1 माओ के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति

जैसा कि हम सभी जानते हैं, दक्षिण एशिया का ज्यादातर हिस्सा जिसमें कई देश आते हैं, अंग्रेजो के कब्जे में था । जिसमें  भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और साथ में चीन आदि शामिल हैं । सभी पर अंग्रेजों ने कब्जा किया कर रखा था ।

1.1 चीनी ख़रबूज़ा का अर्थ

हालांकि चीन पर पर कई देशों का कब्ज़ा था । उसको कई सारे देशों ने बांट रखा था । कुछ हिस्सा पोलैंड ने कुछ हिस्सा इंग्लैंड ने कुछ हिस्सा फ्रांस ने । इसी कारण इसे चीनी ख़रबूज़े के नाम से जाना जाता है ।

चीन में सन 1948 और 49 के बीच में एक क्रांति हुई । जिसे साम्यवादी क्रांति कहा जाता है और वह क्रांति चीन के नेता माओ के नेतृत्व में हुई थी । इसे चीनी क्रांति के नाम से भी जाना जाता है । इस क्रांति के बाद चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को बाहर की दुनिया से एकदम अलग कर लिया । यानी सिर्फ अपने देश में विकास करना है । अपने लोगों का विकास करना है और सिर्फ अपने देश में ही रहना है । यानी बाहर के देशों से कोई मतलब नहीं रखना । चीन के बाहर कोई निर्यात आयात नहीं  करना । इसीलिए साम्यवादी क्रांति का जो माहौल था, उसने चीन को अपने अंदर ही समेट लिया । बाहर के देशों से उसने रिश्ते तोड़ दिए । और जो रिश्ते थे भी वह बिल्कुल ना के बराबर थे ।

2 पूंजीवाद से अलगाव

पूंजीवाद से नाता तोड़कर चीन ने साम्यवाद को अपनाया । जैसा कि हम जानते हैं कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में क्या होता है ? जो सारे फैसले होते हैं । वह पूंजीपति लोग लेते हैं । क्या उत्पादन किया जाए ? कैसे उत्पादन किया जाए ? और किसके लिए उत्पादन किया जाए यह सारे फैसले पूंजी पतियों द्वारा लिए जाते हैं इसमें सरकार का की भूमिका बहुत कम होती है तो चीन ने क्या किया जाए ? चीन ने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए । जो सारी चीजें पूंजीवाद में आती थी । उसने खुद को उन सब चीजों से अलग कर लिया और उसने और अपनी अर्थव्यवस्था का आधार साम्यवाद को बनाया । यानी यह जो सारे फैसले हैं । यह सरकार लेगी । जो लोगों के हित के फैसले हैं, वह सरकार ही लेगी । जो देश के और लोगों के विकास के फैसले हैं । वह सब सरकार के द्वारा लिए जाएंगे और चीन ने जितना भी काम किया साम्यवादी और समाजवादी अर्थव्यवस्था के आधार पर अपने देश में काम किया । जिसमें किसी भी पूंजीपति का कोई हस्तक्षेप नहीं था ।

3 चीनी मॉडल

अब इन सब के बाद चीन ने अपने लिए एक मॉडल बनाया । उस मॉडल में क्या था । जिस तरीके से भारत ने आजादी के बाद अपने देश की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कई सारे निर्णय लिए जैसे पंचवर्षीय योजना, कृषि विकास, औद्योगीकरण और दूसरी नीतियाँ लागू करना आदि । इसी तरीके से चीन ने भी अपने देश के लिए कई सारी नीतियां बनाई । जिन्हें चीनी मॉडल के नाम से जाना जाता है । आइए जानते हैं कुछ इस तरह की नीतियों के बारे में ।

चीन ने अपने आप को पूंजीवाद से अलग करके देश के सभी संसाधनोंपर अपना नियंत्रण किया और उन चीजों को अपने हिसाब से काम में लिया । चीन ने इन सब को इस्तेमाल करके एक ऐसा मॉडल तैयार किया । जिसमें चीन ने अपने देश के विकास के लिए किसी एक को विकसित करने के लिए बहुत समय दिया । थोड़ा थोड़ा समय किसी को नहीं दिया यानी चीन ने किसी एक चीज को पूरी तरह विकसित करने के लिए बहुत समय दिया । जैसे उद्योग को विकसित करने के लिए या फिर कृषि को विकसित करने के लिए इस तरीके से और भी जो दूसरे संसाधन थे, उनको चीन ने विकसित करने के लिए बहुत ज्यादा समय दिया ।

जब तक एक चीज को पूरी तरह से विकसित न कर लिया जाए, तब तक चीन ने दूसरी इकाई में हाथ नहीं डाला । चीन ने यह समझ लिया था कि उसको क्या करना है या नहीं । उसने अपने लिए एक भविष्य तैयार कर लिया था । यानी उसने अपने आप को एक औद्योगिक देश बनाने की संकल्पना पहले से कर ली थी । यानी चीन ने यह पहले ही ठान लिया था कि उसको अपना सामान दुनिया भर में बेचना है और अपनी अलग पहचान बनानी है । तो आज के समय में हम देख रहे हैं कि चीन का सामान लगभग दुनिया के सभी देशों में बेचा जाता है । जो उसने मॉडल अपनाया था । वह औद्योगिक क्रांति का मॉडल अपनाया था ।

4 औधोगिक क्रांति

चीन ने अपने लिए एक अलग मॉडल अपना कर और स्ट्रैटेजी के साथ औद्योगिक क्रांति की तरफ बढ़ा । यानी चीन ने अपने लिए औद्योगिक क्रांति का मॉडल अपनाकर इसको आगे कैसे बढ़ाया । जाहिर सी बात है कि अगर वह अपने सारे संसाधन उद्योगों पर लगा देता या फिर कृषि पर लगा देता । तो दूसरी जो सुविधाएं हैं या जरूरत है । उनको कैसे पूरा कर पाता । जैसे आधारभूत सुविधा खाना-पीना, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि । तो यह सब चीजें उसको आयात करनी पड़ती या दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता । अगर यह सब चीजें चीन बाहर से लेता तो उसके पास कुछ नहीं बचता । बल्कि सारा पैसा बाहर चला जाता । तो उसने क्या किया कि चीन ने धीरे-धीरे करके सब चीजों पर काम किया । चीन ने 20-22 साल के लिए अपने दरवाजे दूसरे देशों के लिए बंद रखे ।

क्योंकि चीन किसी देश से कोई व्यापार नहीं करना चाहता था । उसने सिर्फ चीन के लोगों, चीन की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आंतरिक रूप से काम किया, जो नीति चीन की औद्योगिक क्रांति के विकास में सहायक बानी ।

5 जनसंख्या की मार

इस तरीके से चीन तरक्की तो कर रहा था । लेकिन उसके बीच में एक रुकावट उसकी जनसंख्या बन गई । क्योंकि जैसे-जैसे चीन विकास कर रहा था, उससे तेज गति से उसकी जनसंख्या भी बढ़ रही थी । जिसने उसके विकास पर रोक लगाई । तो इसलिए 1978 में वन चाइल्ड पॉलिसी भी चीन ने अपनाई थी । जो कि सन 2015 में तोड़ दी गई है । क्योंकि उसकी वजह से भी एक नुकसान हुआ जहां पर चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी लगाई । उसकी वजह से हर व्यक्ति का सिर्फ एक ही बच्चा हो सकता है और जो जवान लोग थे । उनकी संख्या कम होती चली गई और बूढ़े लोगों की संख्या ज्यादा हो गई । चीन की जो इतनी अच्छी खासी तरक्की हो रही थी । उस पर जनसंख्या की वजह से वह सारी बेकार हो गई । इसके बाद चीन ने एक दूसरा रास्ता अपनाया ।

6 अमेरिका से संबंध स्थापित

सन 1972 में चीन ने अमेरिका के साथ संबंध स्थापित कर लिए । हालांकि वह शीत युद्ध का समय था, तो उस समय में अमेरिका के साथ संबंध के कारण यह मतलब भी हो सकता था कि लोग उसे पश्चिमी गुटका देश समझते थे । लेकिन ऐसा नहीं था । उसने अमेरिका के साथ संबंध तो बनाए लेकिन वह पश्चिमी गुट में शामिल नहीं हुआ । यानी उसने अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए । जिससे उसको उसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फायदा मिला । उसने अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बनाई । अगर कोई देश अमेरिका के साथ संबंध बनाता है । तो वह उन दोनों देशों तक सीमित नहीं होती यानी वह और भी देशों के साथ उसकी पहचान बन जाती है । जिसके कारण चीन को नए अवसर प्राप्त हुए ।

7 खुले द्वार की नीति अपनाना

सन 1978 में चीन ने ढेंग श्योपेंग के नेतृत्व में खुले द्वार की नीति को अपनाया । इस नीति में क्या हुआ कि चीन ने अपने दरवाजे पूरे देश के लिए पूरी दुनिया के लिए खोल दिए । यानी इस नीति के अंतर्गत कोई भी देश चीन में आकर अपना व्यापार कर सकता था । और चीन में निवेश कर सकता था । इस तरीके से उसको वैश्विक स्तर पर फायदा हुआ । क्योंकि चीन का जो क्षेत्रफल है, वह बहुत बड़ा है और उसकी जनसंख्या भी बहुत ज्यादा हो गई है । अगर हम शंघाई का 1978 के दशक का चित्र (Image) देखे तो उससे हमें पता चलता है कि चीन का शांघाई उस समय कितना विकासित किया था । जितना आज के समय में मुम्बई है ।

8 खेती का निजीकरण

और अब इन सब के बाद चीन ने सन 1982 में खेती का निजीकरण कर दिया । यानी खुले द्वार की नीति के 4 साल बाद ही उसने खेती का निजीकरण कर दिया यानी यह नहीं कि उसने सारी की सारी खेती का एक ही साथ निजीकरण कर दिया बल्कि उसने खेती का बहुत सारा हिस्सा अपने पास भी रखा । इस समय तक भी इनमें खेती में काफी विकास कर लिया था । यानी चीन ने इसमें कोई नुकसान नहीं उठाया बल्कि चीन ने ये सब अपनी अर्थव्यवस्था और लोगों के विकास के लिए किया था । इसमें भी चीन ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई । अपने उद्योगों के निजीकरण के लिए अभी उसने ध्यान नहीं दिया । उसने खेती का विकास करने में और ज्यादा  ध्यान दिया और उससे बहुत ज्यादा लाभ कमाया यानी काफी लंबे समय तक खेती का इसने विकास किया ।

9 उद्योगों का निजीकरण

काफी लंबे समय के बाद चीन में सन 1998 में उद्योगों का भी निजीकरण कर दिया । चीन ने यहां बहुत ज्यादा समय लिया यानी खेती के निजीकरण का फैसला लेने के बाद लगभग 16 साल बाद यह फैसला लिया । लगभग 50 वर्षों तक उसने उद्योगों को अपने हाथ में ही रखा था । इससे क्या होगा कि साथ में गवर्नमेंट का भी विकास होगा और लोगों का भी विकास होगा यानी अपनी नीतियों को चलाना और उन को लागू करना और उनको सही साबित करके दिखाना यह काम चीन ने कर दिखाया ।

उद्योगों का बहुत अच्छे से विकास करने के लिए चीन ने स्पेशल इकोनामिक जोन (SEZ) का निर्माण भी किया । इन Special Economics Zones में क्या होता है कि एक खास क्षेत्र निर्धारित कर लिया जाता है और उस एरिया में उद्योग लगाने के लिए लोगों को निमन्त्रित किया जाता है और इसमें एक खास बात ये है कि उस एरिया में उद्योग लगाने वालों से बहुत ही कम Tax वसूला जाता है । जिससे की उद्योगों का विकास तेजी से हो सके । उसने इंडस्ट्री उद्योगों को और रहने रिहायशी इलाकों को अलग अलग रखा । ऐसा नहीं कि जहां पर रह रहे हैं । वहीं पर उद्योग करना शुरू कर दिया ।

10 विश्व व्यापार संगठन में शामिल होना

अपने उद्योगों का विकास करने के बाद चीन ने 2001 में अपने आप को विश्व व्यापार संगठन में शामिल कर लिया यानी वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को एक नई पहचान दिलाना चाहता था । अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठन में अगर चीन शामिल नहीं होता तो, उसकी नीतियों को विकास की गति नहीं मिल पाती । क्योंकि उसका जो Target था, वह World Oriented  देश बनना था । तो उसने क्या किया उस जगह जाकर जहां से पूरी दुनिया में व्यापार कर सके और अपनी पहचान बना सके । वहां जाकर उसने अपनी नीतियों को प्रभावित किया, क्योंकि जो चीन है । वह UNO का स्थाई सदस्य पहले से ही है । जिसका उसको फायदा मिला । तो इसी तरीके से चीन अपनी नीतियों को विकास में लाया । जिससे उसका फायदा हुआ और इस फायदे से उसने जो करना चाहता था वह कर लिया ।

इस तरीके से हम देख सकते हैं कि चीन एक मॉडल अपनाकर किस तरह से विकास करता जा रहा था । अगर चीन इसी तरह से विकास करता रहा तो 2040 तक अर्थव्यवस्था के मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा । विद्धमानों के द्वारा ऐसा अनुमान लगाया जाता है । यह निश्चित नहीं है कि आने वाले समय में कौन सा देश किस नीति को अपना और किस तरीके से विकास करें । जो कि बहुत हद तक सही हो सकता है और जिस तरीके से चीन अपनी नीतियों को लेकर चल रहा है । एक समाजवादी देश होने के बावजूद भी चीन की तरक्की काफी तेजी से बढ़ रही है । जिस तरीके से सोवियत संघ की किसी समय में तरक्की हुई थी । तो उस हिसाब से चीन अपनी नीतियों को काफी अच्छा लेकर चल रहा है । ना तो उसने खुद को लोकतांत्रिक बनाया और ना तो खुद को पूंजीवाद बनाया । उसके बावजूद भी दोनों चीजों को साथ में लेकर चलना और उसको संभालना और उन नीतियों को लोगों का विकास करना और देश का विकास करना और यह चीज में काफी अच्छे से किया है । यह चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण तथ्य रहा है, जिससे उसने अपनी अर्थव्यवस्था और देश का विकास किया ।

तो दोस्तों यह थी चीन की अर्थव्यवस्था के उत्थान की नीतियां जो चीन ने एक मॉडल के साथ अपनाई और अपना विकास किया । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो, अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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